पत्रिका अपने अभियान पत्रिका पॉजिटिव न्यूज ( Patrika Positive News ) के जरिए ऐसे ही लोगों को आपको रूबरू करवा रहा है, जो कोरोना काल में लोगों के मदद के लिए इंसानियत और मानवता का मिसाल पेश कर रहे हैं। आईए जानते हैं महाराष्ट्र के कोल्हापुर की ऐसी मुस्लिम महिला के बारे में जिन्होंने धर्म से ऊपर उठकर एक हिंदू शख्स का अंतिम संस्कार किया।
यह भी पढ़ेँः patrika positive news कोविड मरीजों के इलाज के लिए अमरीका छोड़ आए अमृतसर, डॉक्टर ने पेश की मिसाल धर्म के ऊपर मानवता को रखते हुए महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक मुस्लिम महिला ने कोविड-19 की वजह अपनी जान गंवा चुके एक हिंदू व्यक्ति का पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर इंसानियत और मानवता की बड़ी मिसाल पेश की है।
परिजन भी पीछे हट गए, तब आगे आईं आएशा
दरअसल कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण उसके करीबी रिश्तेदार अंत्येष्टि में नहीं आ सके। कोल्हापुर के एस्टर आधार अस्पताल में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर काम कर रहीं आएशा राउत ने कोविड-19 महामारी के दौरान आगे बढ़कर एक बुजुर्ग हिन्दू व्यक्ति का दाह-संस्कार किया।
दरअसल कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण उसके करीबी रिश्तेदार अंत्येष्टि में नहीं आ सके। कोल्हापुर के एस्टर आधार अस्पताल में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर काम कर रहीं आएशा राउत ने कोविड-19 महामारी के दौरान आगे बढ़कर एक बुजुर्ग हिन्दू व्यक्ति का दाह-संस्कार किया।
उन्होंने मानवता से भरा यह कदम ऐसे वक्त में उठाया है जब रिश्तेदार और परिजन भी कोविड-19 से मरने वाले प्रियजन का अंतिम संस्कार करने से कतरा रहे हैं। ये है पूरा मामला
कोरोना वायरस के घातक वार से एक सप्ताह जूझने के बाद सुधाकर वेदक 81 वर्ष की उम्र में जिंदगी की जंग हार गए। एस्टर आधार अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।
उनके निधन की खबर परिजनों को दी गई, लेकिन कोरोना के डर से वे अंत्येष्टी करने नहीं आए। ऐसे में जब अस्पताल में वरिष्ठ प्रबंधक आएशा राउत को जानकारी मिली तो उन्होंने सुधाकर वेद के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया।
कोरोना वायरस के घातक वार से एक सप्ताह जूझने के बाद सुधाकर वेदक 81 वर्ष की उम्र में जिंदगी की जंग हार गए। एस्टर आधार अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।
उनके निधन की खबर परिजनों को दी गई, लेकिन कोरोना के डर से वे अंत्येष्टी करने नहीं आए। ऐसे में जब अस्पताल में वरिष्ठ प्रबंधक आएशा राउत को जानकारी मिली तो उन्होंने सुधाकर वेद के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया।
उन्होंने ना इस इस जिम्मेदारी को उठाया बल्कि पूरे हिंदू रिती रिवाज के साथ इस बुजुर्ग का अंतिम संस्कार भी किया। यह भी पढ़ेँः Patrika Positive News: कोई घर से दूर रह कर तो कोई हमेशा मुस्कुराकर कर, कोविड मरीजों की सेवा में जुटे
रमजान यही सिखाता है
आएशा ने बताया कि रमजान का महीने हमें यही सीख देता है कि दूसरों की मदद करो। इस महीने में जकात के तौर पर उनके परिवार ने कोल्हापुर के श्मशान और कब्रिस्तान में काम करने वालों को पीपीई किट बांटने का फैसला लिया था।
आएशा ने बताया कि रमजान का महीने हमें यही सीख देता है कि दूसरों की मदद करो। इस महीने में जकात के तौर पर उनके परिवार ने कोल्हापुर के श्मशान और कब्रिस्तान में काम करने वालों को पीपीई किट बांटने का फैसला लिया था।
उन्होंने बताया कि मैं पंचगंगा श्मशान घाट पर पीपीई किट बांट रही थी, तभी मुझे डॉक्टर हर्षला वेदक का फोन आया कि उनके पिता सुधाकर वेदक की रविवार की मौत हो गई है। डॉक्टर वेदक ने राउत से पूछा कि क्या वह पंचगंगा श्मशान में उनके पिता का अंतिम संस्कार कर सकती हैं, क्योंकि उनका पूरा परिवार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण आने में असमर्थ है।
राउत ने कहा कि मुझे तकलीफ हुई कि सुधारकर वेदक के परिवार से कोई भी अंतिम संस्कार में नहीं आया था। इसलिए मैंने अस्पताल में फोन कर उनके पिता का अंतिम संस्कार करने की अनुमति मांगी।
आयशा ने बताया कि इसके बाद मैंने खुद पीपीई किट पहना और हिन्दू रिवाज के मुताबिक अंतिम संस्कार किया। डॉक्टर वेदक ने इसके लिए राउत के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।