डॉ. संतोष शेट्टी शनिवार को पत्रिका कीनोट सलोन में फेसबुक पर पत्रिका के दर्शक और पाठकों के जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर ने एंटी बॉडी टेस्ट पर अभी रोक लगाई है, लेकिन जैसे ही उसकी मंजूरी मिलेगी तो वह यह तय करने में सहायक साबित होगा कि कौन इस वक्त में घर से बाहर निकल सकता है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से वायरस खत्म नहीं हो रहा है। इससे संक्रमण कम हो रहा है। वायरस के संक्रमण का चक्र धीमा हो गया है। यदि लॉकडाउन न किया गया होता तो अब तक आठ से दस लाख केस होते। लॉकडाउन से वायरस से लडऩे के लिए तैयारी का भी वक्त मिल गया।
कारगर है प्लॉज्मा थैरेपी
दुनिया में अभी कहां किस तरीके से इलाज हो रहा है, हम उसे देख रहे हैं। हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन बेसिक ट्रीटमेंट लाइन है। अभी प्लाज्मा थैरेपी को लेकर अनुमति मिल चुकी है। इसका प्रयोग हम गंभीर मरीजों जो वेंटिलेटर पर जा चुके हैं उनपर करेंगे। वैसे करीब 80 फीसदी मरीज वायरल दवाओं के इलाज से सही हो रहे हैं।
कोरोना के बाद ऐसा होगा मेडिकल का चेहरा
— अस्पतालों के डिजायन में बदलाव होंगे। मरीजों के लिए अलग रास्ते और ब्लॉक बनाने होंगे।
— अस्पतालों के विजिटिंग आवर बंद होंगे या फिर सीमित किए जाएंगे।
— अस्पतालों के भीतर से ओपीडी समेत दूसरी भीड़ कम की जाएगी।
— टेलीमेडिशन और वीडियोकॉल के जरिए होगी ओपीडी
— जापान ताइवान की तर्ज पर सेनेटाइजर व हैंड वॉश और मास्क का प्रयोग जरूरी होगा।
राज्यों में कोरोना से बचने के लिए यह जरूरी है
— एकजुटता : कोरोना से लड़ने के लिए सरकार, पब्लिक अस्पताल, कम्युनिटी वर्कर एक दूसरे के साथ लड़ सकते हैं।
— बड़ी संख्या में जांच – इसके बारे में भी डब्ल्यूएचओ ने भी जोर देकर कहा है। संबंधित जांचें घर पर हों, यह जरूरी हैं। समय से जांच से कई मरीज गंभीर होने से बचेंगे और अन्य को भी संक्रमित नहीं करेंगे।
— हल्के लक्षण वाले मरीज : ऐसे मरीजों को होम क्वारेंटाइन व आइसोलेट होने चाहिए। अस्पताल में बेड को गंभीर मरीजों के लिए खाली रखें।
— हर शहर में दो हॉस्पिटल : कोरोना से बचाव के लिए सभी जरूरी उपकरण होने चाहिए। कोविड के मरीजों को एक साथ हॉस्पिटल में रखें।
— हॉटस्पॉट एरिया लॉक करें : जिस क्षेत्र से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं उस क्षेत्र को चिह्नित कर लॉक करें ताकि अन्य क्षेत्रों में संक्रमण न फैले।
— स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा : कोई स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित होता है तो उसको क्वारेंटाइन कर अन्य को संक्रमित होने से बचाएं। चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मी सबसे ज्यादा जरूरी।
एन—95 मास्क सिर्फ मेडिकल के लिए, सभी उपयोग मत करें
डॉ. शेट्टी ने कहा कि एन—95 मास्क सिर्फ उन लोगों को उपयोग करने के लिए दिया जा रहा है जो सीेधे कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं। दूसरे सभी मेडिकल स्टॉफ के लिए सर्जिकल मास्क काफी हैं और घरों के भीतर बैठे लोगों को कपड़े के बने घर के मास्क रोजाना धुकलकर उपयोग करना चाहिए। क्योंकि अगर सभी मेडिकल मास्क का इस्तेमाल करेंगे तो हमारे मेडिकल स्टॉफ को भी मास्क मुहैया नहीं हो पाएंगे।