शुक्रवार को हाइकोर्ट के जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह और जस्टिस अरविंद श्रीवास्तव के खंडपीठ ने अपने 125 पन्नों के आदेश में सेनारी में 34 लोगों की हत्या के 13 आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया।
यह भी पढ़ेंः
भूकंप के जोरदार झटकों से कांपी धरती, अब तीन लोगों के मारे जाने की खबर ये है मामलाजहानाबाद जिले के अरवल में 90 के दशक में कई नरसंहार हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा प्रख्यात लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार और ‘सेनारी नरसंहार’ हैं। उस समय के जहानाबाद जिले के लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में जातीय नरसंहार में कई श्रमिकों की बेदर्द तरीके से गला काटकर हत्या कर दी गई थी।
इसके बाद से आम लोगों के बीच धारणा है कि लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार को लेकर श्रमिकों ने सेनारी नरसंहार को अंजाम दिया था। सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 को 34 लोगों को काट दिया गया था। इस दौरान कातिल धारदार हथियार से एक-एक युवक की गर्दन काट रहे थे।
10 को फांसी 3 को उम्रकैद
जहानाबाद की जिला अदालत ने सभी 13 आरोपितों को दोषी करार दिया था। इनमें 10 को फांसी और तीन को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी। हाइकोर्ट ने दोषियों की ओर से दायर आपराधिक अपील पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद इस अपील पर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित कर लिया था।
करीब डेढ़ साल पहले लक्ष्मणपुर बाथे और शंकरबिगहा नरसंहार की पृष्ठभूमि में सेनारी नरसंहार को देखा गया। फांसी की सजा पाए अभियुक्तों की फांसी की सजा की पुष्टि हाइकोर्ट से कराने के लिए राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट में डेथ रेफरेंस दायर किया गया, जबकि दोषियों में द्वारिका पासवान, बचेश कुमार सिंह, मुंगेश्वर यादव और अन्य की ओर से आपराधिक अपील दायर कर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई। अपने फैसले में खंडपीठ ने सभी 13 दोषियों को बरी कर दिया। साथ ही उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
यह भी पढ़ेँः अब White Fungus पसार रहा अपने पैर, जानिए इसके लक्षण और बचाव के तरीके अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी राज्य सरकारपटना हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी। सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी (अपील) दायर करेगी।
महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि हाइकोर्ट के आदेश में कई खामियां हैं, इसलिए सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील जल्द दायर करेगी।