ऐसे में सरकार के खिलाफ लगातार लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। विपक्ष लगातार सरकार के खिलाफ आवाज उठा रही है और पेट्रोल-डीजल की कीमत पर लगाम लगाने की मांग कर रही है। इस बीच सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर सरकार कुछ नहीं कर सकती है। सरकार का कहना है कि यह पूरी तरह से ग्लोबल मार्केट पर निर्भर है।
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हालांकि, लोगों के गुस्से को देखते हुए अब पेट्रोल-डीजल की कीमतों को घटाने पर विचार करने को लेकर पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी तेल कंपनियों के साथ बैठक करने वाली है। इस बैठक में चर्चा की जाएगी कि कैसे तेल की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है? इसके अलावा इससे जुड़े अन्य़ विषयों पर भी चर्चा की जाएगी।
17 जून को होगी अहम बैठक
पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर चर्चा के लिए 17 जून को एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा देश की सरकारी तेल कंपनियों IOC, BPCL, HPCL के अधिकारियों को भी बुलाया गया है।
बैठक में तेल की बढ़ती कीमतों की वजह, उसका हल निकालने पर चर्चा की जाएगी।बैठक में ये चर्चा की जाएगी और ये समाधान निकालाय जाएगा कि कैसे ईंधन की कीमत को कम किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, स्टैंडिंग कमेटी की ओर से इस बैठक में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, नैचुरल गैस की मौजूदा प्राइसिंग, मार्केटिंग और सप्लाई को लेकर जानकारी मांगी जाएगी। इस बैठक की अगुवाई रमेश बिधूड़ी करेंगे।
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मालूम हो कि देश के कर्नाटक, मध्यप्रदेश समेत सात राज्यों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गया है। राजस्थान के श्रीगंगानगर में तो डीजल भी 100 रुपये के पार जा चुका है। इस संबंध में बीते दिन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि ये चिंता की बात है, लेकिन विकास कार्यों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को पेट्रोल, डीजल पर टैक्स से अतिरिक्त पैसों की जरूरत होती है। ऐसे में सरकार टैक्स में कटौती नहीं कर सकती है। हालांकि, सरकार पेट्रोल- डीजल को GST के दायरे में लाने को तैयार है।