पाकिस्तान की जेल ( PAK Jail ) में बंद भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव मामले ( Kulbhushan Jadhav case ) में अडियल रुख अख्तियार कर चुकी पाकिस्तान सरकार ( Government of Pakistan ) को आखिरकार झुकना पड़ा। पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव ( Kulbhushan Jadhav ) को दी जानी वाली दूसरे कॉन्सुलर एक्सेस ( Consular access ) की मांग को मान लिया।
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भारत सरकार ने गुरुवार को अपने अधिकारियों को दी गई राजनयिक पहुंच (कांसुलर एक्सेस) के दौरान भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को डराने और परेशान करने की कड़े शब्दों में निंदा की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को ‘बाधाकारी और कपटपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि ‘राजनयिक पहुंच न तो सार्थक थी और न ही विश्वसनीय।’
मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में सरकार के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय कांसुलर अधिकारियों को जाधव तक बिना शर्त, बिना किसी रुकावट के पहुंच नहीं दी गई।
बयान में कहा गया है, “इसके विपरीत एक डराने वाली भाव भंगिमा के साथ पाकिस्तानी अधिकारी भारतीय पक्ष के विरोध के बावजूद जाधव और कांसुलर अधिकारियों के पास ही मौजूद रहे। यह एक दिख रहे कैमरे से भी स्पष्ट था कि जाधव के साथ होने वाली बातचीत रिकॉर्ड की जा रही थी
बयान में कहा गया. “जाधव खुद तनाव में थे और उन्होंने स्पष्ट रूप से कांसुलर अधिकारियों को इसके संकेत दिए। व्यवस्था ऐसी की गई थी जो अधिकारियों व जाधव के बीच मुक्त बातचीत की अनुमति नहीं दे रही थी। कांसुलर अधिकारी जाधव को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में स्पष्ट नहीं कर सके और उनके कानूनी प्रतिनिधित्व के लिए उनकी लिखित सहमति प्राप्त करने से रोका गया।”
भारत सरकार ने कहा कि इन परिस्थितियों में पाकिस्तान द्वारा दी गई राजनयिक पहुंच न तो सार्थक थी और न ही विश्वसनीय और भारतीय कांसुलर अधिकारी अपना कड़ा विरोध दर्ज करने के बाद वहां से चले गए।
प्रवक्ता ने कहा, “यह स्पष्ट है कि इस मामले में पाकिस्तान का रवैया अवरोध पैदा करने वाला और कपटपूर्ण (आब्सट्रक्टिव एंड इनसिन्सियर) है। उसने न केवल अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के 2019 के फैसले को पूरी तरह से लागू करने के अपने आश्वासन का उल्लंघन किया है, बल्कि अपने स्वयं के अध्यादेश के अनुसार कार्य करने में भी विफल रहा है।”