इससे पहले पाकिस्तान सरकार ने दावा किया था कि कुलभूषण जाधव ने अपने फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर ( Review Petition ) करने से इनकार कर दिया है। इस बार भी पाकिस्तान ने संघीय अध्यादेश ( Federal ordinance ) के तहत इस मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट में अर्जी देने से पहले पाकिस्तान के कानून एवं न्याय मंत्रालय ने भारत सरकार ( Government of India ) सहित मुख्य पक्षों से विचार नहीं किया। पाक के इस रुख से साफ है कि वो कूलभूषण जाधव मामले में आसीजे के आदेशों के खिलाफ काम करना चाहता है।
दरअसल, पाकिस्तान ने इस संदर्भ में 20 मई को एक अध्यादेश पारित किया था। इस अध्यादेश के तहत तहत 60 दिन के भीतर सैन्य अदालत ( Army Court ) के फैसले को एक आवेदन देकर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन पाकिस्तान ने गलत दावा करते हुए कूलभूषण को ऐसा करने का मौका ही नहीं दिया।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने अपनी अर्जी में अदालत से अनुरोध किया है कि वह जाधव के लिए एक वकील की नियुक्ति कर दे। ताकि पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय अदालत ( ICJ ) के फैसले को लागू करने की अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सके।
पाक को आईसीजे के आदेश की परवाह नहीं भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत ( International Court ) ले गया था। भारत ने आईसीजे में जाधव को राजनयिक पहुंच नहीं दिए जाने और मौत की सजा को चुनौती दी थी। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने जुलाई, 2019 में अपने फैसले में कहा कि पाकिस्तान जाधव को दोषी करार दिए जाने और उसकी सजा पर प्रभावी तरीके से विचार करे और बिना किसी देरी के भारत को राजनयिक पहुंच ( Diplomatic access to India ) दे।
हाल ही में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान से कहा था कि कुलभूषण जाधव के मामले में बिना किसी बाधा के काउंसुलर एक्सेस ( Consular access ) दें। भारत इस मामले में हमेशा से कहता आ रहा है कि जाधव के मामले पर पाकिस्तान लगातार दुनिया की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहा है। वह अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों का बिल्कुल पालन नहीं कर रहा है।
बता दें कि भारतीय नौसेना ( Indian Navy ) के सेवानिवृत 50 वर्षीय अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के कथित मामले में अप्रैल, 2017 में मौत की सजा सुनाई थी।