जिन देशों ने शुरुआत पहले कर दी, वे हमसे बहुत आगे हैं। इजरायल में आधी से अधिक आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है, फिर अमरीका और ब्रिटेन हैं। अब भारत में 1 मई से 18 वर्ष से अधिक आयु वालों के टीकाकरण का नया चरण शुरू हो रहा है। हालांकि, टीकाकरण की गति घट रही है। भारत ने 20 अप्रेल से पिछले 10 दिनों में 2.85 करोड़ (28.5 मिलियन) डोज दी, जबकि इससे पहले 10 दिनों में यह 3.85 करोड़ (38.5 मिलियन) थी। दूसरी तरफ, 45 वर्ष से अधिक आयु वालों की एक बड़ी आबादी को अभी टीका नहीं लगा। वहीं, 60 वर्ष से अधिक की सबसे असुरक्षित आबादी का बड़ा हिस्सा भी अभी टीके से वंचित है।
जल्दी टीकाकरण, कम आर्थिक नुकसान –
कोरोना की दूसरी लहर पहले ही अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर चुकी है। अर्थव्यवस्था का आकलन करने वाली कई एजेंसियों ने इस वित्तीय वर्ष में जीडीपी की अनुमानित वृद्धि में 20-40 आधार अंकों की कटौती का अनुमान जताया है। केयर रेटिंग्स के एक आकलन में अधिकांश नुकसान विनिर्माण, व्यापार, आतिथ्य और परिवहन सेवाओं में होगा। तेजी से टीकाकरण का मतलब होगा, कम आर्थिक नुकसान।
राज्यों के लिए वित्त पोषण की चुनौती –
अब युवा आबादी का टीकाकरण शुरू होने वाला है। लगभग 30 करोड़ (300 मिलियन) भारतीय 45 वर्ष से अधिक के हैं। 18-44 आयु वर्ग में यह संख्या करीब 60 करोड़ (600 मिलियन), यानी दोगुनी है। नई चुनौती में राज्य सरकारों की भूमिका बड़ी होगी, खासतौर पर वैक्सीन की फंडिंग में। राज्यों को अपनी पात्र आबादी के 50 प्रतिशत के पूर्ण टीकाकरण (दोनों डोज) या वैकल्पिक रूप से 75 फीसदी को एक डोज और 25 फीसदी पूर्ण टीकाकरण के लिए अपने स्वाथ्य बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना होगा।