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Ambulance रोक कर 90 मिनट तक लंच करता रहा ड्राइवर, जिंदगी से जूझ रहे मासूम की चली गई जान

Odisha के मयूरभंज इलाके में दिल दहला देने वाली घटना आई सामने
यहां मासूम ने इस वजह से दम तोड़ दिया क्योंकि उसे Ambulance में छोड़कर ड्राइवर 90 मिनट तक खाना खाता रहा
डायरिया से पीड़ित था मासूम, PRM Medical College and Hospital ले जा रहे थे माता-पिता

Aug 11, 2020 / 12:21 pm

धीरज शर्मा

एंबुलेंस ड्राइवर की लापरवाही से गई मासूम की जान

नई दिल्ली। एक तरफ देशभर में कोरोना ( coronavirus in India ) का कहर लोगों की जान का दुश्मन बना हुआ है तो दूसरी तरफ स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही लोगों की जान ले रही है। ऐसा की एक मामला ओडिशा ( Odisha ) से सामने आया है। यहां के मयूरभंज ( Mayurbhanj ) इलाके में हुई एक घटना ने हर किसी को हिला कर रख दिया है।
दरअसल यहां एंबुलेंस ( Ambulance ) ड्राइवर का अमानवीय चेहरा सामने आया है। जिसने अपने लंच ब्रेक ( Luncj Break )के चक्कर में एक मासूम की जान ही ले ली। मयूरभंज इलाके के एक दंपती का आरोप है कि उनके एक साल ( One Year Old Child ) के बेटे की मौत इसलिए हो गई क्योंकि ड्राइवर ( Driver ) ने बीच रास्ते में एंबुलेंस रोककर एक घंटे से भी ज्यादा वक्त तक लंच किया।
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एक तरफ स्वास्थ्यकर्मी ( Health Worker ) और डॉक्टर दुनिया के सामने कोरोना काल में वॉरियर बनकर लोगों की जान बचा रहे हैं। तो दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो मानवता को शर्मसार कर रहे हैं।
ओडिशा के आदिवासी बहुल इलाके मयूरभंज में ऐसी ही एक घटना ने हर किसी को हिला कर रख दिया है।
ये है पूरा मामला
निरंजन बहेरा और गीता बहेरा के बेटे को डायरिया की शिकायत के बाद बारिपदा शहर के पीआरएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, बच्चे की हालत गंभीर होने की वजह से अस्पताल प्रशासन ने सोमवार को बच्चे को कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था। बच्चे को सही इलाज की सख्त और जल्द जरूरत थी।
लिहाजा मासूम के माता-पिता ने 108 एंबुलेंस लेकर पीआरएम मेडिकल कॉलेस और अस्पताल की ओर रवाना हुए। रास्ते में एंबुलेंस चालक और फार्मासिस्ट ने सड़क किनारे ढाबे पर लंच करने का फैसला किया। बच्चे के माता-पिता ने उन्हें जल्द लौटने की बात भी कही।
लेकिन माता-पिता से झूट बोलेकर ये एंबुलेंस चालक करीब 90 मिनट तक ढाबे पर बैठकर खाना ही खाता रहा। काफी इंतजार करने के बाद पिता निरंजन बहेरा ढाबे पर गए, जहां ड्राइवर और फार्मासिस्ट लंच कर रहे थे। बहेरा ने उन्हें जल्दी चलने को कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि वे बच्चे की बीमारी और स्थिति जानते हैं। बहस के बाद दोनों रवाना हुए।
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बारिपदा से 10 किलोमीटर दूर जाने पर कृष्णचंद्रपुर में ही बच्चे की तबीयत काफी बिगड़ने लगी। ऐसे में बीच में ही रोककर बच्चे को कृष्णचंद्रपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, लेकिन यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
गुस्साए माता-पिता और कुछ लोगों ने एंबुलेंस ड्राइवर और फार्मासिस्ट पर हमला कर दिया। साथ ही कृष्णचंद्रपुर के पुलिस चौकी में शिकायत भी दर्ज कराई गई।

कंपनी ने किया इनकार
वहीं 108 एम्बुलेंस का संचालन करने वाली जिकिट्जा हेल्थकेयर लिमिटेड के जिला समन्वयक सयान बोस का बयान कुछ और ही। उनके मुताबिक एम्बुलेंस चालक की ओर से कोई देरी हुई ही नहीं। उन्होंने कहा कि ड्राइवर ने सिर्फ 20 मिनट के लिए ही एंबुलेंस रोकी थी।

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