दिल्ली हिंसाः नहीं रुक रहे आजादी की लड़ाई देखने वाले जग्गेरी लाल के आंसू
आजादी इसलिए नहीं मिली थी कि ‘अपनों’ का खून बहाए।
आजादी की लड़ाई देखने वाले जग्गेरी की आंखे नम।
विभाजन, 1984 के बाद ऐसे साम्प्रदायिक हिंसा ने दिए गहरे जख्म।
मुस्तफाबाद के जग्गेरी लाल से पत्रिका की एक्सक्लूसिव चर्चा।
अनुराग मिश्रा/पत्रिका एक्सक्लूसिवनई दिल्ली। दिल्ली की सांप्रदायिक हिंसा ने गहरे जख्म दिए हैं। देशवासियों को एक दूसरे का खून का प्यासा देख आजादी की लड़ाई देखने वाले जग्गेरीलाल की आंखों से आंसू बह निकले। भरे गले से उन्होंने कहा कि आज नेता और दोनों समुदाय के लोग अपनी तरक्की की बात छोड़ कर आपस में लड़ रहे हैं।
उनका कहना है कि दंगों में अपने ही देश के लोगों को मरते देख आंखों में आंसू आ जाते हैं। जग्गेरीलाल ने ‘पत्रिका’ से कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा लेकर हमने उन्हें 1947 में बाहर खदेड़ दिया, लेकिन उसके बाद विभाजन के दौरान हुए फसाद ने गहरा जख्म दिया। यह जख्म भरने लगे तो 1984 के दंगों ने दिल्ली को रुला दिया।
जग्गेरीलाल ने कहा कि लोग रोजी रोटी और तरक्की बात करें तो समझ में आता है। देश को आजादी इसलिए नहीं मिली थी कि आपस में एक दूसरे का खून बहाए। 93 साल के लाल जी की आंखें अपनों को ही अपने ही देश की धरती पर खून खराबे में मरते देख कर लगभग पथरा गई है।