सूत्रों के मुताबिक स्थानीय लोगों के साथ मुलाकात के बाद एनएसए अजीत डोभाल ने पाया कि लोग इस फैसले के समर्थन में हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी महसूस किया कि यह बदलाव सुनियोजित ढंग से लाया गया।
सूत्रों की मानें तो इस दौरान यह बात भी सामने आई कि घाटी के स्थानीय नेताओं ने लंबे वक्त तक लोगों को गुमराह कर राज किया, इसलिए अब केंद्र सरकार के फैसले को स्वागतयोग्य बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
जानिए क्या है आर्टिकल 35A, क्यों मचा था बवाल पूर्ण राज्य को लेकर लोग सकारात्मक लोगों से बातचीत और स्थिति की समीक्षा के दौरान डोभाल ( NSA Ajit Doval in JK ) ने यह को यह भी पता चला कि स्थानीय निवासियों ने व्यापक रूप से गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान का स्वागत किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जब स्थिति सुधर जाएगी और उचित वक्त आ जाएगा, तब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक डोभाल ने पाया कि घाटी में पूरी तरह शांति और सामान्य स्थिति है। इसके अलावा यहां पर कोई भी विरोध प्रदर्शन या परेशानी नहीं है, लोग अपने जरूरी कामों के लिए आराम से निकल रहे हैं।
महादेव के मुरीद मोदी ने किए सावन में संविधान संशोधन, देखें वीडियो डोभाल की समीक्षा पर सवाल हालांकि इस बात पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि घाटी में तैनात भारी सुरक्षाबल और कर्फ्यू जैसे हालात में विरोध प्रदर्शन करना या फिर बाहर निकलना आसान नहीं है। साथ ही घाटी में धारा 144 भी लगी हुई है, जिसके चलते प्रदर्शन करना भी खतरे से खाली नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के विकास पर ध्यान गौरतलब है कि सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में जम्मू-कश्मीर को धारा-370 के तहत मिले विशेषाधिकार हटाने का संकल्प पेश किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में आतंक का मुख्य कारण यही संवैधानिक आदेश है और मोदी सरकार इसे देश के सबसे ज्यादा विकासशील राज्य बनाने के लिए दृढ़ संकल्प है।
सोमवार को राज्यसभा में 61 के मुकाबले पक्ष में मिले 125 मतों के बाद बाद मंगलवार को अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019, जम्मू-कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) बिल 2019 और धारा-370 हटाने के अध्यादेश को लोकसभा में पेश किया।