माना जा रहा है कि मॉडर्ना दुनिया की सबसे महंगी कोविड वैक्सीन होगी, जबकि सबसे सस्ती वैक्सीन भारत बॉयोटेक की को—वैक्सीन होगी। अभी तक दुनिया भर में करीब 6.4 अरब डोज बुक किए जा चुके हैं। अगर एक आंकलन मानें तो इसकी औसत कीमत 8271 अरब रुपए होगी। जबकि दुनिया की आबादी 7.4 अरब है और अगर सभी को दो डोज दिए जाते हैं तो रकम बहुत ज्यादा होगी।
वहीं फॉच्र्यून बिजनेस ने दावा किया है कि कोविड के चलते वैक्सीन बाजार 93 अरब डॉलर से बढ़कर 104 अरब अमरीकी डॉलर होने जा रहा है। मौसम विभाग ने चक्रवाती तूफान बुरेवी को लेकर जारी किया अपडेट, जानें किन राज्यों में बारिश बढ़ा सकती है मुश्किल
ऐसे समझिए कीमत का गणित
अभी तक पांच प्रमुख वैक्सीन फाइजर, मॉडर्ना, स्पुतनिक वी, कोविशील्ड और कोवैक्सीन की दुनिया भर में कुल 6.4 अरब डोज बुक हो चुकी हैं। इन पांचों कंपनियों की वैक्सीन की औसत कीमत निकाली गई जो 1292.40 रुपए आयी। अगर इन डोज के लिए इस औसत दर पर भुगतान किया जाता है तो कोविड वैक्सीन की खरीद पर 8271 अरब रुपए खर्च होंगे।
अभी तक पांच प्रमुख वैक्सीन फाइजर, मॉडर्ना, स्पुतनिक वी, कोविशील्ड और कोवैक्सीन की दुनिया भर में कुल 6.4 अरब डोज बुक हो चुकी हैं। इन पांचों कंपनियों की वैक्सीन की औसत कीमत निकाली गई जो 1292.40 रुपए आयी। अगर इन डोज के लिए इस औसत दर पर भुगतान किया जाता है तो कोविड वैक्सीन की खरीद पर 8271 अरब रुपए खर्च होंगे।
देश के स्वास्थ्य बजट से ज्यादा खर्च
कोरोना वैक्सीन का खर्च देश के स्वास्थ्य बजट से काफी ज्यादा हो सकता है। इस समय देश का स्वास्थ्य बजट 69 हजार करोड़ रुपये है। जबकि वैक्सीन खरीदने और उसके भंडारण व वितरण के लिए क्या सरकार ने 80 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम किया है।
कोरोना वैक्सीन का खर्च देश के स्वास्थ्य बजट से काफी ज्यादा हो सकता है। इस समय देश का स्वास्थ्य बजट 69 हजार करोड़ रुपये है। जबकि वैक्सीन खरीदने और उसके भंडारण व वितरण के लिए क्या सरकार ने 80 हजार करोड़ रुपये का इंतजाम किया है।
190 कंपनियां दौड़ में, देश में सात
दुनिया भर में कोरोना की करीब 190 से ज्यादा कंपनियां वैक्सीन विकसित करने का काम कर रही हैं। इसमें 47 वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रॉयल चल रहा है। भारत में 7 कंपनियां वैक्सीन के काम में जुटी हैं।
दुनिया भर में कोरोना की करीब 190 से ज्यादा कंपनियां वैक्सीन विकसित करने का काम कर रही हैं। इसमें 47 वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रॉयल चल रहा है। भारत में 7 कंपनियां वैक्सीन के काम में जुटी हैं।
अगर इन कंपनियों से खरीदें तो इतना खर्च करेगा देश
1- फाइजर (फाइजर व बायोएनटेक)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 1400
भारत में वैक्सीन का खर्च : 1 लाख, 89 हजार करोड़ 2- मॉडर्ना (मर्क इंक)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 4000
वैक्सीन का खर्च : 5 लाख 40 लाख हजार करोड़
1- फाइजर (फाइजर व बायोएनटेक)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 1400
भारत में वैक्सीन का खर्च : 1 लाख, 89 हजार करोड़ 2- मॉडर्ना (मर्क इंक)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 4000
वैक्सीन का खर्च : 5 लाख 40 लाख हजार करोड़
3. स्पुतनिक वी (रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड व डॉ. रेड्डी)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत 740
वैक्सीन लगाने का खर्च : 99 हजार 900 करोड़
4. कोविशील्ड (ऑक्सफोर्ड अस्ट्राजेनेका)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 222
वैक्सीन का खर्च : 29 हजार 970 करोड़
वैक्सीन की एक डोज की कीमत 740
वैक्सीन लगाने का खर्च : 99 हजार 900 करोड़
4. कोविशील्ड (ऑक्सफोर्ड अस्ट्राजेनेका)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 222
वैक्सीन का खर्च : 29 हजार 970 करोड़
5- कोवैक्सीन (भारत बायोटेक)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 100
वैक्सीन का खर्च : 13 हजार 500 करोड़ (नोट : देश की कुल आबादी 135 करोड़ के आधार आकलन किया गया है)
वैक्सीन की एक डोज की कीमत : 100
वैक्सीन का खर्च : 13 हजार 500 करोड़ (नोट : देश की कुल आबादी 135 करोड़ के आधार आकलन किया गया है)
कोरोना वैक्सीन आने से पहले इंटरपोल ने जारी किया बड़ा अलर्ट, जानिए किस बात का सता रहा है डर फाइजर के शेयर 63 फीसदी बढ़े
वैक्सीन बना रही कंपनियों ने टीके के असर का दावा व बनाने की घोषणा करते ही उनके शेयरों में अप्रत्याशित उछाल दिखा। कोरोना की वैक्सीन का दावा करने के बाद फाइजर का शेयर 19 फीसदी से ज्यादा उछला था। यह एक साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह शेयर मार्च से अब तक 63 फीसदी बढ़ गया है।
वैक्सीन बना रही कंपनियों ने टीके के असर का दावा व बनाने की घोषणा करते ही उनके शेयरों में अप्रत्याशित उछाल दिखा। कोरोना की वैक्सीन का दावा करने के बाद फाइजर का शेयर 19 फीसदी से ज्यादा उछला था। यह एक साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह शेयर मार्च से अब तक 63 फीसदी बढ़ गया है।
पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के शेयरों में 38 फीसदी का उछाल देखने को मिला। वहीं, वैक्सीन बनाने की घोषणा पर अहमदाबाद की हेस्टर बायोसाइंसेज के शेयरों में एक माह में 35 फीसदी चढ़ चुके हैं।