इस बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ( Delhi Government ) ने निर्णय लिया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल वही लोग इलाज करा सकते हैं जो दिल्ली वाले हैं। यानि केजरीवाल सरकार के अस्पताल ( Kejriwal Govrnment Hospitals ) में इलाज कराने के लिए उन्हें बतौर सबूत दस्तावेज पेश करना होगा। ऐसा न करने वाले केवल केंद्र सरकार के अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं।
Jammu-Kashmir : शोपियां जिले में एक बार फिर एनकाउंटर, सुरक्षाबलों ने आतंकियों को घेरा दस्तावेजों की सूची अपने फैसले पर अमल करते हुए दिल्ली सरकार ने कुछ दस्तावेजों की सूची ( List of Documents ) तैयार की है, जिसके आधार पर आपको दिल्लीवाला मानकर इलाज किया जाएगा। इसमें आधार कार्ड, पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, बैंक पासबुक समेत लगभग वह सभी दस्तावेज शामिल हैं, जो कि बतौर एड्रेस प्रूफ या मतदान के समय मान्य होते है। इसमें बिजली और पानी का बिल भी शामिल है। सभी दस्तावेज दिल्ली के होने चाहिए।
कोरोना संकट तक केजरीवाल सरकार के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों का होगा इलाज 70 फीसदी लोगों के पास है मतदाता पहचान पत्र दिल्ली सरकार के इस फैसले के बाद एक सवाल यह उठाया गया कि देश की राजधानी होने के नाते बड़ी संख्या में यहां पर किराएदार रहते हैं। ये वे हैं जो दूसरे राज्य से रोजगार के लिए दिल्ली में आते हैं। इस सवाल पर कि अगर उनके पास दस्तावेज नहीं होंगे, तो वह इलाज कैसे कराएंगे।
इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार का कहना है कि उनके पास कोई न कोई दस्तावेज होगा। सरकार का तर्क है कि एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की आबादी 2.01 करोड़ है। दिल्ली में वर्तमान में 1.40 करोड़ से अधिक मतदाता है यानी 70 फीसदी लोगों का इलाज सिर्फ मतदाता पहचान पत्र ( Voter Identity Card ) से हो जाएगा।
यूनिवर्सिटी या कॉलेज आईडी मान्य नहीं दिल्ली सरकार ने रेंट एग्रीमेंट या कॉलेज आई-कार्ड को दस्तावेज नहीं माना गया है। सरकार का तर्क है कि इसे कोई भी बनवा लेता है। दिल्ली में जेएनयू, डीयू, आईपीयू जैसे बड़े विश्वविद्यालय के कॉलेजों में बड़ी संख्या में बाहर से छात्र आते हैं। वह हॉस्टल, किराए पर रहते हैं। उनके पास न तो बिजली का बिल होता है न पानी का। कॉलेज का आई कार्ड मान्य नहीं होने से दिल्ली सरकार के अस्पतालों में इलाज नहीं मिलेगा।
इस पर सरकार का कहना है कि अगर उनके पास दिल्ली में किसी बैंक का अकाउंट ( Bank Account ) होगा तो वह मान्य होगा। अन्यथा उन्हें केंद्र सरकार के अस्पताल में इलाज कराना होगा।