नोबेल विजेता मारियो जे मोलिना ने दावा किया है कि कोरोना वायरस के फैलने के लिए हवा प्रमुख जरिया ( Air channel ) हो सकता है। ताज्जुब की बात यह है कि इस बात को केंद्र में रखकर अभी तक किसी भी देश ने प्रयास नहीं किया है। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) ने भी इस पहलू को गंभीरता से नहीं लिया। यही वजह है कि पूरी दुनिया को कोरोना को नियंत्रित करने में सफलता नहीं मिली है।
Epidemiologists बोले – कोरोना मरीजों की संख्या गिनने के बजाय इससे होने वाली मौतों को रोकना जरूरी मोलिना की टीम से जुडड़े शोधकर्ताओं ने चिंता जताई है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन लंबे समय से केवल संपर्क में आने से होने वाले संक्रमण को रोकने पर जोर देता रहा है। डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस ( coronavirus ) के हवा के जरिए फैलने के तथ्य को नजरअंदाज करता रहा है।
साइंस मैगजीन पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित अध्ययन के आधार पर उन्होंने कहा कि हवा से होने वाला प्रसार अत्यधिक संक्रामक है और यह इस बीमारी के प्रसार का प्रमुख जरिया है। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर नाक से सांस लेने से विषाणु ( Virus ) वाले एरोसोल सांस लेने के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
Corona Case 3 लाख के पार, Britain को पीछे छोड़ चौथे पायदान पर भारत शोधकर्ताओं के मुताबिक अमरीका में लागू सामाजिक दूरी ( Social Distancing ) के नियम जैसे अन्य रोकथाम उपाय अपर्याप्त हैं। उन्होंने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ( Global Epidemic ) को रोकने में विश्व इसलिए नाकाम हुआ क्योंकि उसने हवा के जरिए विषाणु के फैलने की गंभीरता को पहचाना नहीं।
शोधकर्ताओं के इस दल ने निष्कर्ष निकाला है कि सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे पर मास्क लगाकर बीमारी को फैलने से रोकने में काफी मदद मिल सकती है।