अब यह होगा आगे निचली अदातल पहले ही कह चुकी है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हम अपना फैसला सुना देंगे। पटियाला हाउस कोर्ट डेथ वारंट इश्यू कर देता है तो उसके बाद 14 दिन का वक्त दोषियों को मिलता है। जिसके बाद फांसी दे दी जाएगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट की ओर से मर्सी पिटिशन के लिए बिल्कुल वक्त नहीं मिलेगा।
तुषार मेहता ने दिया ये तर्क इससे पहले निर्भया केस की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की शुरुआत सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की शुरुआत की। मेहता ने कहा कि पुनर्विचार याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।
इस मामले में निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, ऐसे में इस याचिका को भी खारिज करना चाहिए। SG तुषार मेहता ने कहा कि ये मामला फांसी का फिट केस है, क्योंकि यह मानवता के खिलाफ हमला था।
मौसम को लेकर जारी हुई सबसे बड़ी चेतावनी, देश के इन इलाकों में अगले 24 दिसंबर तक शीतलहर करेगी परेशान वहीं दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने कहा कि जब देश मे इतने लोगों की फांसी लंबित है दया याचिका दाखिल होने के बाद भी तो उनको ही लटकाने की जल्दी और हड़बड़ी क्यों? ये प्रेशर में हो रहा है।
वकील ने मुख्य गवाह अमरिंदर पांडे पर सवाल उठाया और कहा कि मामले में उनके सबूत और प्रस्तुतियां अविश्वसनीय हैं। आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बहस के लिए सभी पक्षों को 30-30 मिनट का समय दिया है।
वहीं चीफ जस्टिस अरविंद बोबड़े ( chief justice ) इस सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इसलिए जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की। इन सवालों से किया बचाव
दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने TIP यानी टेस्ट इन परेड को लेकर भी सवाल उठाए। जस्टिस भानुमति ने कहा कि इस पॉइंट को ट्रायल में कंसीडर किया गया था? सिंह ने कहा कि नहीं, ये नया फैक्ट है। वकील ने वेद-पुराणों का भी अपनी जिहर में जिक्र किया। साथ ही ये भी कहा कि गरीबी की वजह से दोषियों को फांसी दी जा रही है।
दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने TIP यानी टेस्ट इन परेड को लेकर भी सवाल उठाए। जस्टिस भानुमति ने कहा कि इस पॉइंट को ट्रायल में कंसीडर किया गया था? सिंह ने कहा कि नहीं, ये नया फैक्ट है। वकील ने वेद-पुराणों का भी अपनी जिहर में जिक्र किया। साथ ही ये भी कहा कि गरीबी की वजह से दोषियों को फांसी दी जा रही है।
यही नहीं अक्षय के वकील ने जांच पर भी सवाल उठाए। अक्षय के वकील ने तिहाड़ के जेलर सुनील गुप्ता की किताब का जिक्र करते हुए राम सिंह की आत्महत्या पर भी सवाल उठाया।
वहीं जस्टिस बोपन्ना इस दलील पर जवाब देते हुए कहा कि ट्रायल के बाद अगर कोई किताब लिखे तो ये खतरनाक ट्रेंड है। ट्रायल के दौरान कहने वाली बात को बाद में लिखने का कोई मतलब नहीं।
आपको बता दें कि पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना है। फांसी की सजा पाए चारों आरोपियों में से एक अक्षय ठाकुर ने सर्वोच्च अदालत से रहम की गुहार लगाई है।
कल सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में निर्भया के पैरंट्स भी सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मिनट की सुनवाई के बाद इसे टाल दिया था।