J-K पुलिस ने भटिंडा से एक कश्मीरी छात्र को किया गिरफ्तार, सेना के काफिले पर बना रहा था हमले की योजना बता दें कि मालेगांव मामले में एक पीडि़त ने याचिका दायर कर प्रज्ञा सिंह ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी।
चार्जशीट कैसे दाखिल हुई
एनआईए की विशेष अदालत ने एनआई को इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए फटकार लगाई । कोर्ट ने कहा कि साध्वी के खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत थे। अगर सबूत नहीं थे तो चार्जाशीट कैसे दाखिल हुई।
सीताराम येचुरी ने कन्हैया के लिए बेगूसराय में किया प्रचार, कहा- ‘ मोदी को हराना… चुनाव आयोग के पाले में डाल दिया था गेंद इस मामले में एनआईए ने मंगलवार को विशेष अदालत के समने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि यह मामला चुनाव और चुनाव आयोग से संबंधित है। यह मामला एनआईए के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। एनआईए साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगा सकता। उन्हें इस मामले में पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है। करीब एक साल पहले प्रज्ञा ठाकुर की जमानत पर भी एनआईए ने कोई आपत्ति नहीं की थी।
भाजपा को क्यों है दक्षिण की 130 सीटों से अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद? पब्लिसिटी स्टंट दूसरी तरफ प्रज्ञा ठाकुर ने एनआईए कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पीडि़त द्वारा उनके खिलाफ कोर्ट में दायर याचिका पब्लिसिटी स्टंट के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने अपने खिलाफ दायर याचिका को तुच्छ और राजनति से प्रेरित बताया। उन्होंने कोर्ट से कहा है कि उनके खिलाफ दायर याचिका को आवेदक पर जुर्माना लगाने के साथ खारिज कर देना चाहिए।
क्या है मालेगांव विस्फोट मामला ? बता दें कि उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक सामग्री में विस्फोट होने से 7 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। इस घटना में 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस मामले में कर्नल पुरोहित के अलावा अन्य आरोपियों में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी के नाम शामिल हैं।