छात्रों को भी है संस्कृत से लगाव
यहां आने वाले छात्रों को भी संस्कृत से काफी लगाव है। 10वीं क्लास की एक छात्रा पठान उजमा बानो संस्कृत का शिक्षक बनने का सपना देखती है। उजमा के मुताबिक, संस्कृत से हमें अपने देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के बारे में पता चलता है। वेद पढऩे, श्लोक का उच्चारण करने और अपने इतिहास को समझने में आनंद आता है। वहीं एक और छात्र मोहम्मद ओसामा ने बताया कि उन्होंने 5वीं कक्षा से ही संस्कृत पढऩे की शुरुआत की थी।
146 ने चुना संस्कृत
इस बार क्लास 9 के 40 फीसदी से ज्यादा छात्रों ने संस्कृत विषय लिया है। कुल 348 छात्रों में से 146 ने संस्कृत चुना। 146 में से सिर्फ 6 हिंदू हैं बाकी मुस्लिम हैं। ज्यादातर छात्र 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम में भी संस्कृत रखेंगे।
मुस्लिम शिक्षक
यहां मुस्लिम शिक्षक ही संस्कृत पढ़ाते हैं। शिक्षक आबिद अली और मोइनुद्दीन 1998 से यहां पढ़ा रहे हैं। आबिद बताते हैं कि संस्कृत समर्पण के साथ पढ़ाई जाती है।
शुरुआत से ही संस्कृत
स्कूल के प्रिंसिपल एमएम मलिक ने बताया स्कूल की स्थापना से ही यहां संस्कृत पढ़ाई जाती है। 9वीं-10वीं में फारसी, उर्दू, अरबी-संस्कृत में एक भाषा चुननी होती है।