म्यूकोरमाइकोसिस के खतरे की ओर बढ़ रहा देश
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय डीएमईआर के चीफ डॉक्टर तात्याराव लहाने की माने तो देश लगातार म्यूकोरमाइकोसिस के खतरे की ओर बढ़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस की पिछली लहर में इस फंगस का खतरा दिखाई पड़ा था, लेकिन इस बार यह खतरा कहीं ज्यादा खतरनाक है। यह फंगस अगर मरीज के दिमाग तक पहुंच जाता है तो फिर उसका बचने की संभावना न के बराबर ही रहती है। डॉक्टरों ने इसके लक्षण सर दर्द, आंखों में जलन, नाक बंद होना, आधे चेहरे पर सूजन आना, साइनस की परेशानी आदि बताई है। बताया जा रहा है कि फंगस आंखों और चेहरे के रास्ते ही दिमाग तक पहुंचता है।
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नम सतहों पर पाया जाता है
नीति आयोग के सदस्य हेल्थ वीके पॉल ने जानकारी देते हुए बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी की मुख्य वजह म्यूकर नाम का फंगस है। यह नम सतहों पर पाया जाता है। वीके पॉल ने बताया कि जब कोरोना मरीज को ऑक्सीजन सिस्टम या वेंटिलेटर पर रखा जाता है तो मरीज के म्यूकोरमाइकोसिस की चपेट में आने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। वहीं, सर गंगाराम हॉस्पिटल के ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंंजाल के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से होने वाले फंगस संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में ही म्यूकोरमाइसिस के छह मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। इस बीमारी की वजह से कई मरीजों की आंखें जाने और नाक व जबड़े की हड्डी टूटने के मामले भी सामने आए हैं।
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चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय डीएमईआर के चीफ डॉक्टर तात्याराव लहाने ने बताया कि यूं तो यह कवक संक्रमण से जुड़ी बीमारी पहले से ही मौजूद थी, लेकिन अब इसके अधिक मामले कोरोना मरीजों से संबंधित ज्यादा मिल रहे हैं। जिसकी एक वजह कोरोना मरीजों को दिए जाने वाले स्टेरॉइड भी हो सकते हैं, क्योंकि ये मरीज के ब्लड में सर्करा का लेवल काफी बड़ा देते हैं।