Big News: आर्मी चीफ नरवणे ने आतंकवादी संगठन ISIS को लेकर किया सबसे बड़ा खुलासा, अमरीका-ब्रिटेन से भी आगे बताया इस जवाब के मुताबिक वर्ष 2014 से लेकर 2019 के बीच अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार के कुल 18,999 नागरिकों को भारतीय नागरिक के रूप में स्वीकृति दी गई है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने वर्ष 2015 में पांच पड़ोसी मुल्कों के सर्वाधिक 15,394 नागरिकों को भारत का नागरिक बनाया।
वर्ष 2015 में सरकार ने बांग्लादेश के 14,864 नागरिकों को मान्यता इंडो-बांग्लादेश लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के बाद दी। इन 14,864 बांग्लादेशी नागरिकों को नागरिकता कानून 1955 की धारा-7 के अंतर्गत भारत की नागरिकता दी गई।
अगर सूची से वर्ष 2015 की इस संधि के आंकड़े हटा दें, तो 2014 से लेकर 2019 तक हर साल भारतीय नागरिकता पाने वालों की तादाद अप्रत्याशित रूप से बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी। Big News: कोरोनावायरस को लेकर केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं को किया अलर्ट, कहा- कर लें पूरी तैयारी
वर्ष 2014 में इन पांचों पड़ोसी मुल्कों के कुल 544 नागरिकों को भारत का सिटिजन बनाने की स्वीकृति दी गई। जबकि 2015 में बिना संधि वाले मामलों की संख्या 530 थी। इसके बाद वर्ष 2016 में 988, 2017 में 677, 2018 में 511 और 2019 में 885 पड़ोसी देशों के नागरिकों को हिंदुस्तानी बनाया गया।
अगर बात करें इन पांच देशों से पांच वर्षों में अलग-अलग आने वाले नागरिकों की तो आंकड़े बताते हैं कि बांग्लादेश की संधि वाले आंकड़े को छोड़ सर्वाधिक संख्या में हिंदुस्तान की नागरिकता पाकिस्तान के लोगों को दी गई। इन पांच वर्षों में अफगानिस्तान के 914, बांग्लादेश के 15,036, पाकिस्तान के 2935, श्रीलंका के 113 और म्यांमार के 1 व्यक्ति को भारतीय नागरिकता दी गई।
दिल्ली हिंसा के दौरान भी मुस्लिम बहुल इलाके के इस हिंदू परिवार को नहीं लगा डर, खुलकर बताई बड़ी वजह गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि इन आंकड़ों को धर्म के आधार पर नहीं बनाया गया है, बल्कि देश के आधार पर बनाया गया है। यह आंकड़े 29 फरवरी 2020 तक भारत सरकार को प्राप्त जानकारी के आधार पर दिए गए हैं।