हालांकि, देशभर में तेजी के साथ कोरोना टीकाकरण करने के लक्ष्य का हासिल करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई जरूरी कदम उठाए गए हैं। इन सबके बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। सूचना के अधिकार (RTI) में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर बहुत बड़ा खुलासा हुआ है।
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दरअसल, एक RTI में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि देश में जनवरी से अब तक 44 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज बर्बाद हो चुकी हैं। RTI से मिली जानकारी के मुताबिक, इस साल 16 जनवरी यानी टीकाकरण शुरू होने के बाद से अब तक वैक्सीन की 44 लाख से अधिक खुराक बर्बाद हो चुकी है। इस खुलासे में वैक्सीन के बर्बाद होने की कई वजहें भी बताई गई हैं और ये भी बताया गया है कि किस राज्य में सबसे अधिक वैक्सीन बर्बाद हुई है।
ये है वैक्सीन बर्बादी की बड़ी वजह
RTI में वैक्सीन के बर्बाद होने के खुलासे के बाद से कई जानकारों ने इसकी मुख्य वजह बताई है। वैक्सीन संबंधि गतिविधियों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती दौर में वैक्सीन की बड़ी मात्रा बर्बाद हुई है। इसकी मुख्य वजह ये है कि कम संख्या में लोग वैक्सीन लगाने के लिए सामने आए।
विशेषज्ञों के मुताबिक, वैक्सीन के एक वायल में 10-12 डोज होते हैं। जब यह वायल एक बार खुलता है, तो एक निश्चित समय के भीतर इन 10-12 डोज को लगाना जरूरी होता है, वरना इसमें से बचे वैक्सीन बर्बाद हो जाते हैं। वैक्सीन के इस्तेमाल की समय की बात करें तो वायल के खुलने के करीब आधे घंटे के भीतर सभी टीकों का उपयोग कर लिया जाना चाहिए।
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इन राज्यों में सबसे अधिक बर्बाद हुई वैक्सीन
RTI के तहत मिली जानकारी के अनुसार, देश के कुछ राज्यों में वैक्सीन की भारी मात्रा बर्बाद हुई है। सबसे अधिक तमिलनाडु में वैक्सीन की 12.10 फीसदी डोज बर्बाद हुई है। इसके बाद हरियाणा में 9.74 फीसदी, पंजाब में 8.12 फीसदी, मणिपुर में 7.8 फीसदी और तेलंगाना में 7.55 फीसदी डोज बर्बाद हुई है।
इन राज्यों में सबसे कम बर्बाद हुई वैक्सीन
RTI से मिली जानकारी के मुताबिक, देश के कुछ राज्यों में वैक्सीन की बहुत मात्रा बर्बाद हुई है। इनमें अंडमान एवं निकोबार, दमन एवं दीव, गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरल, लक्षद्वीप, मिजोरम और पश्चिम बंगाल का नाम सबसे प्रमुख है, जहां पर सबसे कम वैक्सीन की डोज बर्बादी हुई है।
अब तक 12.71 करोड़ लोगों को दी गई वैक्सीन
आपको बता दें कि देश में टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई बड़े फैसले लिए गए हैं। मौजूदा समय में भारत में दो कंपनियां ( सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ) वैक्सीन का उत्पादन कर रही है। लेकिन सरकार ने टीकाकरण अभियान को बढ़ाते हुए अब 1 मई से 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों को वैक्सीन लगाने की इजाजत दी है। ऐसे में बड़े पैमाने पर टीके की जरूरत होगी और इस मांग की आपूर्ति संभव नहीं है।
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लिहाजा, सरकार ने विदेशों से भी वैक्सीन मंगाने की अनुमति दे दी है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को 3000 करोड़ रुपये और भारत बायोटेक को 1,500 करोड़ रुपये देने की बात कही है। बता दें कि भारत बायोटेक कोवैक्सीन बना रही है, जबकि SII कोविशील्ड बना रही है। भारत में इन्हीं दोनों वैक्सीन का टीका लगाया जा रहा है।
मालूम हो कि भारत में अब तक 12,71,29,113 लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसमें 10,96,59,181 लोगों को पहली डोज, जबकि 1,74,69,932 लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई है। अब तक कोरोना से 1,53,20,972 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 1,80,530 लोगों की जान जा चुकी है।