महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य को संबोधित करते हुए कहा मोदी सरकार को मराठा आरक्षण देने की हिम्मत दिखानी चाहिए। अपने संबोधन में ठाकरे ने कहा कि हम मराठा आरक्षण की लड़ाई में न्याय के लिए लड़ रहे थे, जब राज्य में 4 प्रमुख दलों ने सर्वसम्मति से मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए कानून पारित किया, तब हम भाजपा के साथ थे। दुर्भाग्य से आज यह निराशाजनक परिणाम एक लड़ाई के बीच में है।
Maratha reservation: मराठा आरक्षण अभियान को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन में 50% सीमा रखी बरकरार
सीएम ठाकरे ने कहा कि जिन वकीलों ने आपको हाईकोर्ट में जीत दिलाई, उन्हीं ने वही लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी। छत्रपति संभाजी राजे ने संवेदनशीलता से प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपना बचाव किया। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे का रास्ता दिखाया है।
यह मांग समाज की नहीं, बल्कि न्याय के अधिकार की है: ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने कहा कि केंद्र और राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर से 370 को रद्द करने के लिए जिस तरह से साहस और संवेदनशीलता दिखाई थी, उसी तरह से इसमें दिखाएं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से हाथ जोड़कर विनती करते हैं ये यह अधिकार हमारा है। हम सब साथ हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण किया खत्म, कहा- यह समानता के अधिकार का उल्लंघन
उन्होंने कहा कि वही दल जो निर्णय लेने में एकजुट थे, आज भी एकजुट हैं। अब केंद्र सरकार को समाज को न्याय देने के लिए ज्यादा समय नहीं देना चाहिए। कल यानी गुरुवार (6 मई) को आधिकारिक पत्र देंगे। अगर हमें मिलने की जरूरत है, तो हम वो भी करेंगे।
यह मांग समाज की नहीं, बल्कि न्याय के अधिकार की है। मुझे यकीन है कि माननीय राष्ट्रपति और केंद्र सरकार उसका अनादर नहीं करेंगे। कुछ असामाजिक लोग आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा लड़ाई जीते बिना सरकार नहीं बचेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन में 50% सीमा रखी बरकरार
आपको बता दें कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम 50 फीसद सीमा तय करने वाले साल 1992 के इंदिरा साहनी फैसले को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजने की मांग ठुकराते हुए महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने कहा कि मराठाओं को कोटा देने वाले महाराष्ट्र के कानून में 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करता है।
मराठा आरक्षण देते समय 50 फीसद आरक्षण का उल्लंघन करने का कोई वैध आधार नहीं था। आपको बता दें कि साल 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने मराठा वर्ग को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था।
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बॉम्बे हाईकोर्ट में इस आरक्षण को 2 मुख्य आधारों पर चुनौती दी गई। पहला- इसके पीछे कोई उचित आधार नहीं है। इसे सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया है। दूसरा- यह कुल आरक्षण 50 प्रतिशत तक रखने के लिए 1992 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार फैसले का उल्लंघन करता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने के राज्य सरकार के निर्णय को सही बताया था।
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता में 5 जजों की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि मामले का सभी राज्यों पर असर पड़ेगा। इसके संबंध में कोर्ट ने सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था। अधिकतर राज्यों ने कहा था कि आरक्षण की सीमा कोर्ट की तरफ से तय नहीं होनी चाहिए। वहीं केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र का समर्थन किया था।