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न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने यह बात कांग्रेस से जुड़े संगठन ऑल इंडिया प्रफेशनल्स कांग्रेस (एआईपीसी) के एक परिचर्चा सत्र में कही। बता दें कि न्यायमूर्ति चेलमेश्वर बीते दिनों उस समय अचानक चर्चा में आ गए थे, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ मिलकर तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की कार्य प्रणाली पर मीडिया के सामने सवाल खड़े किए थे।
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दरअसल, परिचर्चा सत्र के दौरान चेलमेश्वर ने एक सवाल के जवाब में कि सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने बावजूद संसद राम मंदिर के लिए कानून बना सकती है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं, जब इस तरह के मामले पहले भी हो चुके हैं। ऐसे मामलों में विधायी प्रक्रिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में अवरोध पैदा किया था। यही नहीं न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर शीर्ष अदालत का फैसला पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून बनाने का उदाहरण भी पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब, राजस्थान व हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़े एक मामले का जिक्र भी किया।