राज्यपाल श्रीधरन की मानें तो उन्होंने राजभवन में लॉकडाउन का सदुपयोग किया। उन्होंने बताया कि Coroan Lockdown की वजह से काफी समय मिला। यही वजह रही मैंने अपने लेखन के काम को आगे बढ़ाया।
राज्यपाल ने कहा कि- मेरा मानना है कि जनप्रतिनिधियों को भी किताबें पढ़ने की आदत होनी चाहिए। इससे उन्हें लोगों को शिक्षित करने में मदद मिलेगी। तीस वर्षों से लिख रहे किताबें
आपको बता दें कि राज्यपाल श्रीधरन पिल्लई का ये शौक नया नहीं बल्कि वे पिछले तीस वर्षों यानी तीन दशकों से किताबें लिख रहे हैं। अब तक वे 121 किताबों को प्रकाशित भी करवा चुके हैं।
– 30 वर्ष पहले शुरू किया लिखना
– 121 किताबें हो चुकीं प्रकाशित
-13 किताबें लॉकडाउन के दौरान लिख डालीं
– 1983 में प्रकाशित हुई थी पहली किताब
– 105 किताबें राज्यपाल बनने के बाद हुईं प्रकाशित
माननीय राज्यपाल महोदय के मुताबिक किताबें लिखने की प्रेरणा उन्हें बचपन में ही मिल गई थी। उन्होंने कहा कि वह बचपन से आम जनजीवन और ग्रामीण राजनीति में सक्रिय रहे हैं और वकालत करते हुए ग्रामीण जनता के साथ उनके घुलने-मिलने और बाद में नेता बनने ने उन्हें किताबें लिखने के लिए प्रेरित किया।
राज्यपाल श्रीधरन की मानें तो कोरोना वायरस ने भले दुनिया पर बहुत ज्यादा असर डाला हो, लेकिन इसका सकारात्मक पहलू भी है। उन्होंने कहा कि इस वायरस ने मानवता को सिखाया कि हम एक-दूसरे पर कितने निर्भर हैं और इसने मनुष्यों के बीच प्यार बढ़ाया।
8 अगस्त को होगा किताबों का विमोचन
लॉकडाउन के दौरान राज्यपाल श्रीधरन पिल्लई की लिखी 13 किताबों में से कुछ किताबों का विमोचन 8 अगस्त को होगा। मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा उनकी कुछ किताबों का एक कार्यक्रम में विमोचन करेंगे।