नवंबर के महीने में डेनमार्क ने अपने देश में 1.7 करोड़ उदबिलावों को मारने का निर्देश दिया था। इसकी वजह थी कि इन उदबिलावों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उनमें कोरोना वायरस का म्यूटेशन हुआ। खास बात यह है कि डेनमार्क के अधिकारियों को डर था कि म्यूटेटेड वायरस इंसानों में फैलने लगा तो वैक्सीन का असर भी नाकाफी रहेगा।
रेल यात्रियों के लिए खुश खबरी, 31 दिसंबर से ट्रेन बुकिंग हुई सुपरफास्ट, जानिए क्या मिलेगा फायदा इन 9 देशों में पाया गया वायरस
डेनमार्क ने भले ही ऊदबिलावों को मार दिया हो, लेकिन इसका खतरा अब भी खत्म नहीं हुआ। इनका वायरस सालभर में 9 देशों में देखा जा चुका है। डेनमार्क में जनवरी के बाद यह अप्रैल में नीदरलैंड्स देखा गया। इसके बाद जून में स्पेन, इटली, लिथुएनिया, स्वीडन, ग्रीस, कनाडा के साथ अमरीका में भी फैल चुका है।
डेनमार्क ने भले ही ऊदबिलावों को मार दिया हो, लेकिन इसका खतरा अब भी खत्म नहीं हुआ। इनका वायरस सालभर में 9 देशों में देखा जा चुका है। डेनमार्क में जनवरी के बाद यह अप्रैल में नीदरलैंड्स देखा गया। इसके बाद जून में स्पेन, इटली, लिथुएनिया, स्वीडन, ग्रीस, कनाडा के साथ अमरीका में भी फैल चुका है।
अमरीका में यह पहला केस अक्टूबर में आया था। इसके बाद जंगल में फैलने का डर भी सच साबित हुआ। 13 दिसंबर को अमरीका के ऊटा में एक कोविड संक्रमित जंगली ऊदबिलाव मिला है।
क्लस्टर 5 बना चिंता की वजह
ऊदबिलाव के अंदर वायरस में हुए बदलाव इंसानों तक नहीं पहुंचे। लेकिन बदलावों का एक सेट जिसे ‘क्लस्टर 5’ कहा गया, वह डेनमार्क के 12 लोगों में फैला। साथ ही 200 अन्य लोगों में भी ऊदबिलाव वाले वायरस के पाया गया। क्लस्टर 5 से चिंता इसलिए बढ़ी क्योंकि इसमें उस स्पाइक प्रोटीन में बदलाव हुआ, जिसका इस्तेमाल वैक्सीन शरीर को कोविड के प्रति लड़ने के लिए ट्रेन करने में करती हैं।
ऊदबिलाव के अंदर वायरस में हुए बदलाव इंसानों तक नहीं पहुंचे। लेकिन बदलावों का एक सेट जिसे ‘क्लस्टर 5’ कहा गया, वह डेनमार्क के 12 लोगों में फैला। साथ ही 200 अन्य लोगों में भी ऊदबिलाव वाले वायरस के पाया गया। क्लस्टर 5 से चिंता इसलिए बढ़ी क्योंकि इसमें उस स्पाइक प्रोटीन में बदलाव हुआ, जिसका इस्तेमाल वैक्सीन शरीर को कोविड के प्रति लड़ने के लिए ट्रेन करने में करती हैं।
…तो दोबारा लौटेगा कोरोना
अब तक ऊदबिलावा वाला वायरस जंगल में कितना फैला है, इसकी जानकारी नहीं मिली है। लेकिन अगर ये और फैला तो मुसीबत आनी तय है। हर बार हम महामारी को वैक्सीन और लॉकडाउन्स से काबू में लाएंगे, वह जंगल से फिर फैलेगा।
अब तक ऊदबिलावा वाला वायरस जंगल में कितना फैला है, इसकी जानकारी नहीं मिली है। लेकिन अगर ये और फैला तो मुसीबत आनी तय है। हर बार हम महामारी को वैक्सीन और लॉकडाउन्स से काबू में लाएंगे, वह जंगल से फिर फैलेगा।
इसलिए ऊदबिलाव में जल्दी फैलता है वायरस
ऊदबिलावों को श्वसन तंत्र में इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा रहता है। किसी फार्म वर्कर को कोविड हो और वह बाड़े के पास खांसे या छींक दे तो पूरे फार्म के ऊदबिलावों में वायरस फैलने में समय नहीं लगता।
ऊदबिलावों को श्वसन तंत्र में इन्फेक्शन का ज्यादा खतरा रहता है। किसी फार्म वर्कर को कोविड हो और वह बाड़े के पास खांसे या छींक दे तो पूरे फार्म के ऊदबिलावों में वायरस फैलने में समय नहीं लगता।
कोरोना के नए स्ट्रेन से बढ़ी मुश्किल के बीच सामने आया एक और बढ़ा खतरा, कोविड साइकोसिस के शिकार हो रहे संक्रमित भारत में ऊदबिलाव की तीन प्रजातियां
ऊदबिलाव मांसाहारी जीव है, जो पानी में रहता है। भारत में ऊदबिलावों तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। चिकनी त्वचा वाली ऊदबिलाव ठहरे हुए जल में होता है। छोटे नाखूनों वाला ऊदबिलाव ऊंचे स्थानों में पाया जाता है। उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में यूरेशियन ऊदबिलाव पाए जाते हैं।
ऊदबिलाव मांसाहारी जीव है, जो पानी में रहता है। भारत में ऊदबिलावों तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। चिकनी त्वचा वाली ऊदबिलाव ठहरे हुए जल में होता है। छोटे नाखूनों वाला ऊदबिलाव ऊंचे स्थानों में पाया जाता है। उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में यूरेशियन ऊदबिलाव पाए जाते हैं।
लघु नखीय ऊदबिलाव हिमालयी तलहटी में पाए जाते हैं। इसके आलावा मुलायम और त्वचावरण राजस्थान और गुजरात को छोड़कर भारत की विभिन्न ऊदबिलाव झीलों में रहते हैं।