लॉकडाउन से सरकार का मकसद लोगों को घरों में रख इस जानलेवा बीमारी से किसी तरह बचाव करना है। लेकिन लॉकडाउन के चौथे दिन शनिवार को राजधानी दिल्ली के आऩंद बिहार बस बड्डे ( Anand Vihar bus terminal ) पर भी मजदूरों ( Migrant workers ) का ऐसा रेला देख सरकार और प्रशासन दोनों की ही सांसे फूल गई।
दरअसल, लॉकडाउन के बाद दिल्ली से अपने-अपने राज्यों के लिए पलायन कर चुके मजदूरों की भारी संख्या में सरकार को हिला कर रख दिया है।
सावधान! कहीं तीसरी स्टेज में तो नहीं पहुंच गया कोरोना वायरस, जानें अचानक कैसे बढ़ गया खतरा
यही वजह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आनन-फानन में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत कर मजदूरों के पलायत पर तत्काल रोक लगाने की बात कही है।
दिल्ली का आऩंद बिहार बस अड्डा भी ऐसे ही मजदूरों से ठसाठस भरा हुआ है। लॉकडाउन के बाद दिल्ली और उससे आसपास के इलाकों में फैक्ट्रियां व कारखाने बंद हो जाने से मजदूर बेरोजगार हो गए, जिसके बाद धीरे-धीरे उनकी जेबें भी खाली हो चली।
ऐसे में उनके पास अपने-अपने घरों को लौटने का कोई विकल्प नहीं बचा। यहां तक कि ट्रेनें और बस बंद होने के बावजूद हजारों की तदाद में मजदूर पैदल ही अपने-अपने ग्रह राज्यों के लिए निकल गए।
ऐसे में किसी के सिर पर गठरी तो किसी के हाथ में बच्चा…सड़कें ऐसे न जाने कितने लोगों से भरी दिखाई दी।
बड़ी खबर: कोरोना संदिग्ध युवक ने महिला के गले पर काटा, जानें फिर कैसी हो गई महिला की हालत?
वहीं, देशभर में मजदूरों का बड़े स्तर पर यह पलायन सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में दिखाई दिया। हालांकि स्थिति हास से निकलता देख अब केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कदम उठाए हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्रवासियों से आग्रह किया कि वे लॉकडाउन के दौरान शहर छोड़कर न जाएं, और दिल्ली सरकार चार लाख से अधिक लोगों के लिए 800 से अधिक स्थानों पर दोपहर और रात का भोजन उपलब्ध करा रही है।
वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे लोगों के लिए 1000 रोडवेज बस चलाई हैं।
कोरोना वायरस के बीच भाजपा का बड़ा कदम, जानें पार्टी के सभी सांसद और विधायकों को सौंपी क्या जिम्मेदारी?