विविध भारत

माइक्रोबायोलॉजिस्ट का दावा: चढ़ता पारा भारत में रोक देगा कोरोना वायरस की रफ्तार

माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने जताई तापमान बढ़ने पर कोरोना वायरस खत्म होने की उम्मीद
कहा- लॉकडाउन खत्म होने के बाद कोरोना के वायरस में देखने को मिल सकती है कमी

Mar 26, 2020 / 06:48 pm

Mohit sharma

कोरोना वायरस

नई दिल्ली। टॉप भारतीय माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स को इस बात की आशा है कि 21 दिन के लॉकडाउन के बाद जब गर्मी आएगी, तो पारे में बढ़ोतरी भारत में कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। देश के सबसे पुराने साइंटिफिक आर्गेनाइजेशन में से एक एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ( AMI ) के प्रमुख और प्रसिद्ध माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर जे.एस. विर्दी ने बताया, “मेरी सबसे बड़ी आशा यह है कि अप्रैल के अंत तक तापमान में संभावित बढ़ोतरी निश्चित रूप से इस देश में महामारी की रोकथाम में सहायक होगा।”

Coronavirus: 14 अप्रैल के बाद बढ़ सकती है लॉकडाउन की डेट! जानें मोदी सरकार का क्या है प्लान?

पूरे विश्वभर से प्रतिष्ठित संस्थानों के अध्ययन से खुलासा हुआ है कि कोरोनावायरस के विभिन्न प्रकारों ने ‘सर्दी के मौसम में पनपने के लक्षण’ दिखाए हैं। आसान शब्दों में समझें तो, कोरोनावायरस दिसंबर और अप्रैल के बीच ज्यादा सक्रिय होता है। कई वायरोलॉजिस्ट ने संकेत दिए हैं कि इस वर्ष जून के अंत तक, कोविड-19 का प्रभाव मौजूदा समय से कम होगा। एएमआई के महासचिव प्रोफेसर प्रत्यूष शुक्ला ने आईएएनएस से कहा, “हां, कुछ वैज्ञानिक जून थ्योरी की बात कर रहे हैं, जो कि निश्चित रूप से तापमान में बढ़ोतरी से जुड़ा हुआ है। मैंने कुछ चीनी सहयोगियों से बात की है और उन्होंने हमें बताया है कि कोविड-19 का रेसिस्टेंस पॉवर उच्च तापमान को बर्दाश्त नहीं कर सकता।”

कोरोना वायरस: अनुपम खेर की मां को सताई मोदी की सेहत की चिंता, सोशल मीडिया पर शेयर किया भावुक वीडियो

उन्होंने कहा, “प्राय: सार्स या फ्लू समेत सभी तरह के वायरस का अधिकतम प्रभाव अक्टूबर से मार्च तक होता है। इसके पीछे कारण यह है कि वायरस के प्रसार में तापमान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।” एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग केंद्र द्वारा किए गए विस्तृत अध्ययन से पता चला है कि रोगियों के श्वासनली से प्राप्त तीन प्रकार के कोरोनवायरस का सर्दियों के समय पनपने की संभावना ज्यादा है। अध्ययन से खुलासा हुआ है कि वायरस से संक्रमण दिसंबर से अप्रैल तक फैलता है। हालांकि माइक्राबायोलॉजिस्ट का यह भी मानना है कि इस बात के कुछ शुरुआती संकेत मिलने हैं कि कोविड-19 मौसम के साथ बदल भी सकता है। नए वायरस के पैटर्न के अध्ययन से पता चला है कि यह ठंडे और सूखे क्षेत्रों में अधिक संक्रामक है।

कोरोना वायरस लॉकडाउन में मजबूर हुआ शख्स, खाने के पड़े लाले तो कर लिया ‘सुसाइड’!

इस वायरस के दुनियाभर में फैलने की बाबत जे.एस. विर्दी ने कहा, “मैंने माइक्रोबायोलॉजिस्ट के रूप में अपने 50 साल के करियर में इस तरह का वायरस नहीं देखा जो इतनी तेजी से फैलता है। और जिस तेजी से यह फैलता है उससे पता चलता है कि यह हवा में रहता है यानी हवा इसका वाहक है। एक अन्य कारण यह भी है कि इस नए वायरस का जीवनकाल पहले के वायरसों की तुलना में लंबा है।”

COVID-19: दंपति ने कोरोना से जीती जंग, हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद बयां की कहानी

उन्होंने कहा कि इस वायरस का प्रसार इसलिए नहीं रुक पा रहा है क्योंकि यह एयरोसोल (हवा में मौजूद ड्रापलेट) से भी फैलता है। करीब 5 हजार माइक्रोबायोलॉजिस्ट सदस्य वाली वर्ष 1938 में स्थापित एएमआई का मानना है कि सरकार ने जो 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की है यह समुदाय में कोरोना के फैलने से रोकने में प्रभावी भूमिका निभाएगी। लॉकडाउन वायरस के फैलने के खतरनाक चेन को तोड़ेगी। अभी इस वक्त यही सबसे बेहतर किया जा सकता है। एएमआई के प्रेसिडेंट विर्दी ने कहा कि जल्द ही माइक्रोबायोलॉजिस्ट की सर्वोच्च संस्था इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जल्द ही वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक करेगी।

Hindi News / Miscellenous India / माइक्रोबायोलॉजिस्ट का दावा: चढ़ता पारा भारत में रोक देगा कोरोना वायरस की रफ्तार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.