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…जब फांसी लगने से पहले याकूब ने कहा कि मैडम फिक्र न करो, मुझे कुछ नहीं होगा

कसाब मुंबई की आर्थर रोड जेल में आईटीबीपी की हिरासत में था और उसे फांसी देने के लिए पुणे ले जाया गया था।

Oct 01, 2017 / 10:23 am

Mohit sharma

Meeran Chadha Borwankar

नई दिल्ली। पाक आतंकी अजमल कसाब और मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब को फांसी दिए जाने के कई सालों बाद महाराष्ट्र की पूर्व आईजी (कारागार) मीरन सी बोरवंकर ने उस समय की कुछ घटनाओं का रहस्योद्घाटन किया है। मीरन के मुताबिक कसाब और याकूब को फांसी देने के मामले में काफी भेद था। मीरन ने बताया कि एक ओर जहां कसाब को फांसी के मामले में कई एजेंसियां शामिल थीं और उसको लेकर पूरी गोपनियता बरती गई, वहीं याकूब का मामला पूरे देश की नजरों में था।

मीडिया में लीक हो गई थी खबर

पूर्व जेल अधिकारी ने बताया कि कसाब मुंबई की आर्थर रोड जेल में आईटीबीपी की हिरासत में था और उसे फांसी देने के लिए पुणे ले जाया गया था। उन्होंने बताया कि इस दौरान इतनी एहतियात और चौकसी बरती गई था कि कसाब को ले जाने वाली टीम को 36 घंटे तक एक गुप्त स्थान पर रखा गया था यही नहीं उनसे उनके फोन तक ले लिए, लेकिन न जाने कैसे एक मीडियाकर्मी को कसाब के मुंबई से निकलने की खबर पता चल गई। हालांकि इस जानकारी मीडिया पूरी तरह से पुख्ता नहीं कर पाई थी।

काफी डरा हुआ था कसाब

मीरन ने बताया कि अंतिम समय में कसाब काफी डरा सहमा हुआ था। लेकिन उसे इस बात की भनक भी नहीं थी कि आखिर उसके साथ होने क्या जा रहा है। जबकि याकूब मेमन की फांसी के मामले की गोपनीयता बरकार रखना जरूरी था जिसे उन्होंने पूरी तरह से निभाया। उन्होंने बताया कि याकूब फांसी मामले में भी वही टीम शामिल थी, जो कसाब के समय में थी। मीरन ने बताया कि 1993 मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन से वह जब मिलने नागपुर सेंट्रल जेल गई थीं तो उसने कहा था कि उसे कुछ नहीं होगा। उन्होंने बताया कि वह याकूब से पहली भी कुछ बार मिल चुकी थी। लेकिन जब वह फांसी के लिए नागपुर सेंट्रल जेल पहुंची तो याकूब ने उनसे कहा था कि मैडम फिक्र मत करो, कुछ नहीं होने वाला है, मुझे कुछ नहीं होगा। बता दें कि सेवानिवृत मीरन देश की इकलौती महिला आईपीएस अफसर हैं जिन्होंने फांसी देखी है। उन्हीं के कार्यकाल में 2012 में 26/11 मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब और 2015 में याकूब मेमन को फांसी दी गई।

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