और जब आई वो बात… तो पीएम मोदी ने किया इशारों-इशारों में बाबा रामदेव पर वार पीएम ने अपने संबोधन ( ‘Mann Ki Baat’ ) में कहा, “मन की बात ने वर्ष 2020 में अपना आधा सफ़र अब पूरा कर लिया है। इस दौरान हमने अनेक विषयों पर बात की। स्वाभाविक है कि जो वैश्विक महामारी आई, मानव जाति पर जो संकट आया, उस पर हमारी बातचीत कुछ ज्यादा ही रही। लेकिन इन दिनों मैं देख रहा हूं कि लगातार लोगों में एक विषय पर चर्चा हो रही है कि आखिर ये साल कब बीतेगा। कोई किसी को फोन भी कर रहा है तो बातचीत इसी विषय से शुरू हो रही है कि ये साल जल्दी क्यों नहीं बीत रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “कोई लिख रहा है, दोस्तों से बात कर रहा है, कह रहा है कि ये साल अच्छा नहीं है। कोई कह रहा है 2020 शुभ नहीं है। बस लोग यही चाहते हैं कि किसी भी तरह से ये साल जल्द-से-जल्द बीत जाए।”
रेडियो कार्यक्रम ( Mann Ki Baat latest news ) पीएम ने बताया, “कभी-कभी मैं सोचता हूं कि ऐसा क्यों हो रहा है। हो सकता है ऐसी बातचीत के कुछ कारण भी हों। 6-7 महीना पहले ये हम कहां जानते थे कि कोरोना जैसा संकट आएगा और इसके खिलाफ़ ये लड़ाई इतनी लंबी चलेगी। ये संकट तो बना ही हुआ है। ऊपर से देश में नित नई चुनौतियां सामने आती जा रही हैं। अभी कुछ दिन पहले देश के पूर्वी छोर पर साइक्लोन अंफान ( Cyclone Amphan ) आया, तो पश्चिमी छोर पर साइक्लोन निसर्ग ( Cyclone Nisarg ) आया। कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाई–बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं। और कुछ नहीं तो देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे। और इन सबके बीच हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है।”
Unlock 2.0 की घोषणा 30 जून को! इन जरूरी सेवाओं पर होगा मुख्य फोकस आपदाओं पर पीएम ने कहा, “वाकई एक-साथ इनती आपदाएं, इस स्तर की आपदाएं, बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलती हैं। हालत तो ये हो गई है कि कोई छोटी-छोटी घटना भी हो रही है तो लोग उन्हें भी इन चुनौतियों के साथ जोड़कर के देख रहें हैं।”
मन की बात ( pm modi mann ki baat ) में मुश्किलों को लेकर उन्होंने कहा, “साथियों, मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं, लेकिन सवाल यही है कि क्या इन आपदाओं की वजह से हमें साल 2020 को ख़राब मान लेना चाहिए? क्या पहले के 6 महीने जैसे बीते, उसकी वजह से ये मान लेना कि पूरा साल ही ऐसा है क्या ये सोचना सही है? जी नहीं। बिल्कुल नहीं। एक साल में एक चुनौती आए या 50 चुनौतियां आएं, नंबर कम-ज्यादा होने से वो साल ख़राब नहीं हो जाता।”
देश के इतिहास को लेकर पीएम ने कहा, “भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर और ज्यादा निखरकर निकलने का रहा है। सैकड़ों वर्षों तक अलग-अलग आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया। उसे संकटों में डाला। लोगों को लगता था कि भारत की संरचना ही नष्ट हो जाएगी, भारत की संस्कृति ही समाप्त हो जाएगी, लेकिन इन संकटों से भारत और भी भव्य होकर सामने आया।”
देशभर में फिर से लागू होगा लॉकडाउन? अभी-अभी रेलवे ने 12 अगस्त तक सभी यात्री ट्रेनें कैंसल कीं पीएम ने कुछ पंक्तियों के साथ कहा, “साथियों हमारे यहां कहा जाता है- ‘सृजन शास्वत है, सृजन निरंतर है।’ मुझे एक गीत की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं-
यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा?
युग-युग से बहता आता, यह पुण्य प्रवाह हमारा।
उसी गीत में, आगे आता है–
क्या उसको रोक सकेंगे, मिटनेवाले मिट जाएं,
कंकड़-पत्थर की हस्ती, क्या बाधा बनकर आए।
यह कल-कल छल-छल बहती, क्या कहती गंगा धारा?
युग-युग से बहता आता, यह पुण्य प्रवाह हमारा।
उसी गीत में, आगे आता है–
क्या उसको रोक सकेंगे, मिटनेवाले मिट जाएं,
कंकड़-पत्थर की हस्ती, क्या बाधा बनकर आए।
भारत में भी, जहां, एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए। नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए, यानी संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही। देश आगे बढ़ता ही रहा। भारत ने हमेशा संकटों को सफलता की सीढियों में परिवर्तित किया है। इसी भावना के साथ हमें आज भी इन सारे संकटों के बीच आगे बढ़ते ही रहना है। आप भी इसी विचार से आगे बढ़ेंगे। 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ेंगे तो यही साल देश के लिये नए कीर्तिमान बनाने वाला साल साबित होगा। इसी साल में देश नए लक्ष्य प्राप्त करेगा। नई उड़ान भरेगा। नई ऊंचाइयों को छुएगा। मुझे पूरा विश्वास 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है और इस देश की महान परंपरा पर है।”