जब ओआईसी के जरिये पाकिस्तान ने भारत को कश्मीर के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की तो मालदीव ने कड़े शब्दों में एतराज जताते हुए कह दिया कि किसी एक देश को दोष देना ठीक नहीं है। मालदीव OIC के अंदर ऐसे किसी एक्शन का समर्थन नहीं करेगा, जिसमें भारत को निशाना बनाया जाएगा।
कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उछालने के पाकिस्तान के मंसूबों को मालदीव लगातार कूचलता रहा है।
वर्ष 2019 में मालदीव में ही साउथ एशियन स्पीकर्स समिट आयोजित की गई। इस समिट में पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने कश्मीर मुद्दा हवा देने की कोशिश की लेकिन मालदीव के प्रवक्ता मोहम्मद नाशीद ने इस हवा का रुख मोड़ दिया और कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है इसे इस मंच पर उठाने की जरूरत नहीं। दरअसल 1974 से ही मालदीव का कश्मीर पर यही स्टैंड है।
भारत के इस सच्चे दोस्त मालदीव ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को खत्म करने के फैसले का भी समर्थन किया और इस बार भी अपने दोस्त के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कई मुस्लिम देशों ने इसका विरोध किया, लेकिन मालदीव सरकार ने ये कह कर भारत का साथ दिया कि – “भारत सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जो फैसला किया है, उसे मालदीव एक आंतरिक मामला मानता है।”
भारत से मालदीव की दोस्ती का एक और उदाहरण ये भी है कि दोनों ही देश हिंद महासागर में स्थिरता को लेकर एकमत हैं। मालदीव ने इसी वर्ष कहा था, ‘हमारे भारत से बेहतरीन रिश्ते हैं।’
ये सिर्फ एक तरफ दोस्ती नहीं बल्कि भारत ने भी मालदीव का भरपूर साथ दिया है। वर्ष 2018 में मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मो. सोलिह ने शपथ लेने के 15 दिन बाद ही भारत का तीन दिवसीय दौरा किया। इस दौरान उन्होंने अपने दोस्त से कई प्रोजेक्ट्स पर मदद मांगी, जिसके जवाब में भारत ने हाथ बढ़ाकर स्वागत किया।
कोरोना से जूझ रहे मालदीव की मदद के लिए भारत भी आगे आया। अप्रैल महीने में मालदीव के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन संजीवनी’ चलाया। 18 घंटे के इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और मदुरै से 6.2 टन जरूरी दवाएं और अस्पताल की चीजें मालदीव को भेजी थीं। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शहिद ने भारत को तब ‘दोस्त और पार्टनर’ करार दिया।