नीलिमा डालमिया आधार ने महात्मा गांधी और बा के बीच हुए पत्राचार, उनके सहयोगियों से बातचीत और मौजूद दस्तावेजों के आधार पर ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा’ लिखा था। वेस्टलैंड द्वारा प्रकाशित यह डायरी बहुत कम समय में बेहद लोकप्रिय साबित हुई। जिसके बाद अब न सिर्फ हिंदी बल्कि तमिल, मलयालम, तेलुगू, बंगाली, मराठी आदि जैसे अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होने जा रही है।
कई भाषाओं में जल्द ही
वेस्टलांड के सीईओ गौतम पद्मनाभन के मुताबिक ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा’ के कई संस्करण पर काम जारी है और जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगा, जबकि हिंदी भाषा में अनुवादित डायरी लॉन्च की जा चुकी है।
कस्तूरबा की डायरी में एक महिला के रुप में बा का चित्रण भी देखने को मिलता है। उनके दांपत्य जीवन, बिना शर्त प्यार, संभोग और परमानंद के अलावा जीवन के अंतिम दौर का जिक्र है।
खुलेंगे कई राज
‘द सीक्रेट डायरी ऑफ कस्तूरबा’ में महात्मा गांधी के जीवन के ऐसे दस्तावेज दर्ज हैं, जो उनकी आत्मकथा में भी नहीं। बा ने एक पत्नी के रुप में महात्मा गांधी को जिस तरह देखा, उनके अनुभव इस डायरी में दर्ज है। इसके अलावा विवाह के बाद महात्मा गांधी और उनके संबंध, छिटपुट मुद्दों पर पति के साथ मनमुटाव और पढ़ी लिखी न होने के बावजूद चीजों पर अपनी राय रखना कस्तूरबा गांधी की महानता है।
डायरी में एक घटना का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि मध्यप्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी के स्वागत के लिए विशाल जनसमूह एकत्र होता है, इसी दौरान भीड़ में से कोई शख्स कस्तूरबा की जय का नारा भी लगाता है। इस समय गांधी के बड़े पुत्र हरिलाल निकट आकर मां कस्तूरबा को एक संतरा देते हुए पिता जी से कहते हैं कि बा के कारण ही आप महान बने हैं।