महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण (coronavirus) के बाद अब ब्लैक फंगल यानी म्यूकरमाइकोसिस का खतरा बढ़ रहा है। राज्य में इस संक्रमण के अब तक करीब दो हजार मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, राज्य में बढ़ते ब्लैक फंगल के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने जिला स्तर पर टास्क फोर्स गठित करने का फैसला किया है। इसके अलावा, इस संक्रमण से निपटने के लिए जरूरी दवाओं और दूसरी सुविधाओं के लिए भी आदेश जारी कर दिया है।
राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में अब तक ब्लैक फंगल यानी म्यूकरमाइकोसिस के दो हजार केस समाने आ चुके हैं। इस खतरे से निपटने के लिए जिला स्तर पर कार्यवाही शुरू हो गई है। इस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जिले को अलर्ट मोड पर रख दिया है और प्रशासन को सभी जरूरी व खास इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। इसमें अस्पतालों में अलग वार्ड तैयार करना भी शामिल है।
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इसके अलावा अलग ऑपरेशन थिएटर और इस बीमारी को रोकने के लिए दवाओं तथा इंजेक्शन को तुरंत खरीदने के आदेश भी जारी किए गए हैं। इससे पहले, हाल ही में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा था कि ब्लैक फंगल यानी म्यूकरमाइकोसिस के मरीजों के इलाज के लिए एक लाख एम्फोटेरिसिन-बी फंगस प्रतिरोधक इंजेक्शन खरीदने के लिए टेंडर निकाले जाएंगे। ब्लैक फंगल से मरने वालों की संख्या अधिक हो रही है और ऐसे में कोरोना संक्रमण से परेशान स्वास्थ्य विभाग की चिंता अब और बढ़ गई है। अधिकारी ने बताया कि संक्रमण से लडऩे के लिए और अधिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों में देखने को मिल रहा है, जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है और यह वातावरण में फैले रोगाणुओं से लडऩे में अक्षम साबित हो रहा है। ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी है। वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलने की भी शिकायतें हैं। इसके अतिरिक्त भी तमाम दूसरी परेशानियां हैं। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
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महाराष्ट्र सरकार ने बताया कि उनके राज्य में वर्तमान में ऐसे 2000 से ज्यादा मामले हो सकते हैं। बीएमसी ने बताया कि सभी 111 मरीज जिन्हें कोविड हो चुका है, उनका मुंबई के अस्पताल में म्यूकरमाइकोसिस का इलाज चल रहा है। कर्नाटक में भी ब्लैक फंगस के मामले दर्ज किए गए हैं, इसके बाद कर्नाटक सरकार ने केंद्र से एम्फोटेरिसिन-बी के 25,000 डोज की मांग की है। ये दवा इस संक्रमण के इलाज में कारगर बताई जा रही है। इन दो राज्यों के अलावा, ओडिशा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। मध्यप्रदेश में भी ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने के बाद बुधवार को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए शासकीय चिकित्सा संस्थान, भोपाल और जबलपुर में अलग से 10 बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध किए जाने की घोषणा की है।