है तेरा मेहवर तिरी अधूरी मोहब्बतों में कोई तो मेरे वजूद की सरहदें बताए भटक रहा हूँ मैं कब से अपनी ही वुसअतों में उर्दू शायर और फिल्म गीतकार मुमताज राशिद की गजल के ये अशार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी पर सटीक बैठते हैं, क्योंकि उनकी जिंदगी में ऐसे भी लम्हें आए जो खूबसूरत तो हुए, वफाओं के सफर में ये लम्हें अपनी मंजिल तक ना पहुंच सके। अटल बिहारी वाजपेयी की मुहब्बत की दास्तां अधूरी ही रही। जिनसे उन्होंने मुहब्बत की वह उन्हें पा ना सकें। पूरी जिंदगी अटल बिहारी वाजपेयी कुंवारे रहें।
अटल हेल्थ अपडेट: जानिए, किन बीमारियों से जूझ रहे हैं एम्स में भर्ती अटल बिहारी वाजपेयी? ‘राजकुमारी’ से किया प्रेम देश के बड़े नेताओं में शुमार रहे अटल बिहारी वाजयेपी कभी विवाह के बंधन में नहीं बंधे, लेकिन उन्होंने प्रेम का स्वाद जरूर चखा। कहा जाता है कि अटल जी को सच्ची मुहब्बत हुई थी वह भी एक ‘राजकुमारी’ से। बात शुरू होती है उस दौर में जब ना मोबाइल था, ना लड़कियों से बात की जाती थीं। प्यार की पहली झलक अटल बिहारी वाजपेयी को 1940 के दशक में मिली। अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमार कौल दोनों कॉलेज में अच्छे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई उन्हें पता ही नहीं चला। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर बताते हैं कि ये वो दौर था जब लड़का-लड़की का आपस में बात करना अच्छा नहीं माना जाता था। लेकिन अटल और राजकुमारी कौल की वो खूबसूरत प्रेम कहानी थी।
दिलेर अटल ने लिख डाला प्रेम पत्र
उस दौर में प्यार के पंछी लफ्जों में नहीं बल्कि इशारों में बातें करते थे। आंखों ही आखों में दिल के जज्बातों को बयां किया जाता था। उस वक्त लड़कियों के बात करना अच्छा नहीं माना जाता था। उस दौर में कलम के सिपाही रहे अटल बिहार वाजपेयी ने हिम्मत दिखाते हुए कलम उठाई और अपने दिल का हाल लिख दिया। उन्होंने अपने प्यार को प्रेम पत्र लिखा। राजकुमारी कौल की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो अटल बिहारी वाजयेपी निराश हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि अटल इस रिश्ते के टूटने से इतने दुखी थे कि उन्होंने कभी शादी ही नहीं की। इसके बाद अटल ने अपना जीवन संघ सेवा और राजनीति में लगा दिया। वक्त आगे बढ़ता रहा। अटल बिहारी वाजपेयी भी राजनीति में नए-नए कीर्तिमान गढ़ रहे थे। लेकिन वह अपने प्यार को नहीं भूले। उनके ऊपर लिखी गई किताब “अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस” में वाजपेयी की जिंदगी के बारे में कई खुलासे हुए हैं। किताब के लेखक और पत्रकार किंशुक नाग ने लिखा कि राजकुमारी के सरकारी अधिकारी पिता ने उनकी शादी एक युवा कॉलेज टीचर ब्रिज नारायण कौल से कर दी। किताब के अनुसार राजकुमारी कौल अटल जी से शादी करना चाहती थीं, लेकिन घर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। हालांकि अटल ब्राह्मण थे लेकिन कौल अपने को कहीं बेहतर कुल का मानते थे।
उस दौर में प्यार के पंछी लफ्जों में नहीं बल्कि इशारों में बातें करते थे। आंखों ही आखों में दिल के जज्बातों को बयां किया जाता था। उस वक्त लड़कियों के बात करना अच्छा नहीं माना जाता था। उस दौर में कलम के सिपाही रहे अटल बिहार वाजपेयी ने हिम्मत दिखाते हुए कलम उठाई और अपने दिल का हाल लिख दिया। उन्होंने अपने प्यार को प्रेम पत्र लिखा। राजकुमारी कौल की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो अटल बिहारी वाजयेपी निराश हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि अटल इस रिश्ते के टूटने से इतने दुखी थे कि उन्होंने कभी शादी ही नहीं की। इसके बाद अटल ने अपना जीवन संघ सेवा और राजनीति में लगा दिया। वक्त आगे बढ़ता रहा। अटल बिहारी वाजपेयी भी राजनीति में नए-नए कीर्तिमान गढ़ रहे थे। लेकिन वह अपने प्यार को नहीं भूले। उनके ऊपर लिखी गई किताब “अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस” में वाजपेयी की जिंदगी के बारे में कई खुलासे हुए हैं। किताब के लेखक और पत्रकार किंशुक नाग ने लिखा कि राजकुमारी के सरकारी अधिकारी पिता ने उनकी शादी एक युवा कॉलेज टीचर ब्रिज नारायण कौल से कर दी। किताब के अनुसार राजकुमारी कौल अटल जी से शादी करना चाहती थीं, लेकिन घर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। हालांकि अटल ब्राह्मण थे लेकिन कौल अपने को कहीं बेहतर कुल का मानते थे।
एक दशक बात हुई मुलाकात राजकुमारी कौल को दिल्ली के राजनीतिक हलकों में लोग मिसेज कौल के नाम से जानते थे। हर किसी को मालूम था कि वो अटलजी के लिए सबसे प्रिय हैं। अपनी-अपनी दुनिया में खो जाने के बाद दोनों करीब एक -डेढ़ दशक बाद फिर से मिले।
अपने पति के साथ राजकुमारी दिल्ली आ गईं। उनके पति रामजस कॉलेज में फिलॉस्फी के प्रोफेसर थे। यहां वह कॉलेज के हास्टल के वार्डन भी बने। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रहने आ गए थे। मोरारजी देसाई की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनको लुटियंस जोन के बंगले में उस समय कई लोग जब अटल जी से मिलने जाते थे, तब उनको कौल परिवार उसी बंगले में दिखता था। इसका मतलब है कि अटल जी के साथ ही कौल परिवार उनके बंगले में शिफ्ट हो गया था। कॉलेज की मित्र राजकुमारी कौल से उनका विवाह न हो सका, लेकिन राजकुमारी की शादी के बाद भी दोनों साथ रहे और उनके रिश्ते को दोनों ने कोई नाम नहीं दिया। अटलजी का कद राजनीति में इतना बढ़ा था कि विरोधी दल और मीडिया कभी उनकी निजी में जिंदगी में तांकझांक नहीं कर सके।