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उपराष्ट्रपति नायडू और लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कोरोना वायरस के कारण सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम को ध्यान में रखते हुए संसद के आगामी मानसून सत्र आयोजित करने पर चर्चा की। दोनों का मानना था कि ई-संसद आने वाले समय में एक अच्छा विकल्प हो सकता है। उन्होंने यह चर्चा इस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए की, जिसमें यह कहा गया है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लंबे समय तक चल सकती है। इस बैठक बुलाई जिसमें दोनों सदनों के महासचिव भी शामिल हुए। नायडू ने राज्य सभा के निर्विरोध चुने गए 37 सदस्यों के शपथग्रहण कार्यक्रम को भी स्थगित कर दिया है।
-गोपनीयता की जरूरत नहीं
दोनों पीठासीन अधिकारियों ने नियमित बैठकें नहीं होने की स्थिति में संसद सत्रों को चलाने के लिए दीर्घकालिक विकल्प के रूप में आईटी को अपनाने पर जोर दिया। चूंकि दोनों सभाओं की बैठकों का आम जनता के लिए सीधा प्रसारण किया जाता है, इसलिए उनकी कार्यवाहियों के मामले में गोपनीयता बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे स्थिति में वर्चुअल संसद की संभावना पर विचार किया जा सकता है ।
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-सेन्ट्रल हॉल भी हो सकता है विकल्प
संसद के आगामी मानसून सत्र के बारे में दोनों सभाओं के महासचिवों को निर्देश दिए हैं कि वे संसद के सेन्ट्रल हॉल के उपयोग की संभावना की जांच करें ताकि सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित की जा सके। इस संबंध में अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
-यह भी विकल्प
-लोक सभा की बैठक सेन्ट्रल हॉल में और राज्य सभा के सदस्यों की बैठक लोक सभा कक्ष में करवाया जाना
-दोनों सभाओं की बैठकों को वैकल्पिक दिनों में करवाना।
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-नियम बदल नहीं सकते
पीठासीन अधिकारी की ओर से नियमों को निलंबित किए जाने की संभावना के बारे में अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के निलंबन के लिए सदन में एक प्रस्ताव रखे जाने की आवश्यकता है। पीठासीन अधिकारी निर्देश जारी करके नियमों को बदल नहीं सकते ।