विविध भारत

Lockdown2: पहले ‘चमकी’ और अब ‘कोरोना’ ने कम की बिहार की लीची की मिठास!

बिहार की लीची की है विदेशों तक धूम
दो साल से चमकी की अफवाह से हो रहा था नुकसान
कोरोना लॉकडाउन के कारण अब तक नहीं आए खरीददार

Apr 20, 2020 / 05:57 pm

Navyavesh Navrahi

बिहार की लीची की देश के साथ-साथ विदेशें में भी धूम है। लेकिन इस साल लीची उत्पादक परेशान हैं। पिछले दो साल से जहां चमकी बुखार लीची उत्पादकों को नुकसान पहुंचा रहा है, इस बार कोरोना ने लीची उत्पादकों के चेहरों को मायूस कर दिया है। मुजफ्फरपुर जिले समेत उत्तर बिहार के लीची उत्पादकों को इस साल लीची की बेहतर पैदावार की उम्मीद है। लेकिन कोरोना के कारण खरीददार व्यापारी नहीं पहुंचने से उत्पादकों के चेहरे मायूस हो गए हैं। इसलिए अच्छी पैदावार होने के बावजूद किसानों को नुकसान होने की आशंका है। हालांकि सरकार और लीची अनुसंधान केंद्र किसानों को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दे रहा है।
Corona Lockdown 2: जम्मू में महिलाओं ने संभाली लॉकडाउन की कमान

अभी तक नहीं पहुंचे हैं खरीददार व्यापारी

लीची के किसानों का कहना है कि इस साल बंपर पैदावार हुई है। इसके बावजूद नुकसान की संभावना है। इस बीच, हाल के दिनों में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने भी उनकी आशंका को और बढ़ा दिया है। लीची के प्रमुख किसान और बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह के अनुसार- ‘लीची खरीदने के लिए अभी तक कोई ठेकेदार या खरीदार इस साल आगे नहीं आया है। आमतौर पर वे मार्च के अंतिम सप्ताह में आते हैं या कटाई शुरू होने से पहले अप्रैल के पहले सप्ताह तक यहां पहुंच जाते हैं। इस बार कोरोना लॉकडाउन के कारण भी खरीरदार यहां तक नहीं पहुंचे हैं।’ हालांकि किसानों को लॉकडाउन में छूट दी गई है।
Lockdown2: आखिर क्यों बढ़ रही है मजदूरों में घर जाने की बेचैनी!

फलों को देखकर लगाते हैं खरीद का अनुमान

बच्चा प्रसाद सिंह के अनुसार- खरीददार यहां आकर बगीचे में लगे लीची के फलों को देखकर अनुमान के आधार पर ही उनकी खरीद करते हैं। सिंह कहते हैं कि सरकारी अधिकारी हमें बाजार की उपलब्धता और लीची के परिवहन का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन इसमें वे कितना सफल हो पाते हैं यह देखने वाली बात होगी।
निजामुद्दीन मरकज पर संकट, एकजुट हो सकते हैं दोनों तबलीगी गुट!

चमकी बुखार की अफवाह से दो साल से नुकसान

मुजफ्फरपुर के औराई निवासी लीची किसान दिनेश प्रसाद के अनुसार- यह क्षेत्र शाही लीची के लिए प्रसिद्ध है, जो अन्य किसी भी प्रजाति की लीची से अधिक मीठी और रसीली होती है। इस साल पेड़ों पर फूल और फल देखकर भरपूर फसल के संकेत मिल रहे हैं। वे कहते हैं कि पिछले दो साल से लीची के कारण चमकी बुखार (AES) होने की अफवाह के कारण लीची व्यापारियों की संख्या कम हुई थी। बाद में वैज्ञानिकों ने इसे गलत साबित किया तो, बाजार के फिर उठने की संभावना बनी थी। लेकिन अब कोरोना के कारण खरीददार नहीं मिलने से नुकसान होने की आशंका है।
Corona Lockdown: झारखंड के अफसर ने कोरोना योद्धाओं के लिए बनवाए ‘फेस शील्ड’

मुजफ्फरपुर में 500 करोड़ के कारोबार की उम्मीद

तिरहुत प्रक्षेत्र के कृषि विभाग के संयुक्त निदेषक सुरेंद्र नाथ के अनुसार- ‘राज्य में कुल लीची का 70 प्रतिषत उत्पादन इस क्षेत्र में होता है। लीची उत्पादन के लिए मुजफ्फरपुर देश में अव्वल है। बिहार में कुल 32 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है। अकेले मुजफ्फरपुर में 11 हजार हेक्टेयर में लीची के बाग हैं। राज्य में पिछले साल 1000 करोड़ रुपए का लीची का व्यवसाय हुआ था। इनमें मुजफ्फरपुर की भागीदारी 400 करोड़ रुपए थी। इस बार 500 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार की उम्मीद है।’
Corona Lockdown: मोबाइल गिरवी रखकर दवा लेने जा रहा था रिक्शेवाला, डीएम ने रोककर की मदद

इस तरह से होता है व्यापार

मुजफ्फरपुर के अलावा बिहार में वैशाली, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, कटिहार और समस्तीपुर में भी लीची के बगीचे हैं। सुरेंद्र नाथ के मुताबिक- ठेकेदार भूमि मालिकों को अग्रिम भुगतान करने के बाद दो से तीन साल के लिए पट्टे पर जमीन लेते हैं और फिर विभिन्न बाजारों में फल बेचने के बाद शेष भुगतान करते हैं। इधर, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशालनाथ का कहना है कि- यहां लीची की बिक्री दो स्टेज में होती है। पहली स्थिति में व्यापारी किसानों को कुछ पैसा पहले दे देते जबकि दूसरी स्थिति में फल तैयार होने पर किसान बेचते हैं। कई व्यापारी तीन-तीन साल के लिए बाग खरीद लेते हैं।
Lockdown 2: लॉकडाउन में फंसा 3 साल का बच्चा, मां से मिलाने में जुट गया दो राज्यों का प्रशासन

लीची केंद्र ने की ट्रांस्पोटेशन की तैयारी

इस साल भी व्यापारी और किसान एक-दूसरे के संपर्क में हैं। लीची के फल आने में एक पखवारे का समय बचा है। निदेशक हालांकि कहते हैं कि लीची अनुसंधान केंद्र लीची की मार्केटिंग, पैकिंग और ट्रासंपोर्टेशन की तैयारी कर रहा है। सरकार को पत्र भेजकर लीची की बिक्री से संबंधित संसाधन की व्यवस्था कराने की मांग की गई है।

संबंधित विषय:

Hindi News / Miscellenous India / Lockdown2: पहले ‘चमकी’ और अब ‘कोरोना’ ने कम की बिहार की लीची की मिठास!

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.