गृह सचिव अजय भल्ला ( Home Secratory Ajay Bhalla ) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को पत्र लिखकर कहा है कि गृह मंत्रालय ने ऐसे फंसे हुए लोगों के आने जाने को मंजूरी दी है जो लॉकडाउन की अवधि से ठीक पहले अपने मूल निवास अथवा कार्यस्थलों से चले गए थे और लॉकडाउन के नियमों के चलते लोगों अथवा वाहनों की आवाजाही पर लगी रोक के कारण अपने मूल निवासों अथवा कार्यस्थलों पर लौट नहीं पाए।
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र के दोहरे रवैये पर साधा निशाना, कहां गया पीएम केयर्स फंड का पैसा? | नए सिरे से जारी पत्र में कहा गया है कि आदेश में जो सुविधा दी गई है वह अत्यंत संकट में फंसे लोगों के लिए है, लेकिन ऐसे श्रेणी के लोग इसके दायरे में नहीं आते जो कामकाज के लिए अपने मूल स्थान से पहले से दूर हैं और सुरक्षित हैं। पत्र में लिखा गया है कि इस संकट की घड़ी में बेवजह कोई भी लोग घर न जाए।
गृह मंत्रालय ने ये भी स्पष्ट कर दिया है कि शुक्रवार को ट्रेनों और बसों के द्वारा उनके आने जाने की मंजूरी कुछ खास शर्तों पर दी है। जिसमें भेजने और गंतव्य वाले राज्यों की सहमति, सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना आदि शामिल है।
क्राइम ब्रांच के रडार पर जमात मुख्यालय के 125 बैंक अकाउंट, मौलाना का होगा दूसरा कोरोना टेस्ट गृह सचिव की ओर से पत्र जारी होने के बाद भारतीय रेलवे ने देशभर में फंसे हुए लोगों को ले जाने के वास्ते विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों ( Special Train ) के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। रेलवे ने कहा है कि क्षमता की 90 प्रतिशत मांग होने पर ही विशेष श्रमिक रेलगाड़ियां चलाई जानी चाहिए. ।
रेलवे ने कहा कि स्थानीय राज्य सरकार ( State Government ) प्राधिकार टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगे। रेलवे ने कहा है कि फंसे हुए लोगों को भोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य की जांच और टिकट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उस राज्य की होगी जहां से ट्रेन चल रही है। हालांकि रेलवे ने उन यात्रियों के समय के भोजन की जिम्मेदारी ली है जिनकी यात्रा 12 घंटे या इससे अधिक समय की होगी।