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गनोर पासवान ने कहा कि मेरी बेटी 2018 में बुरी तरह जल गई थी और पैसे न होने की वजह से मैं इसका इलाज अच्छे से नहीं करा पाया था। इसका एक हाथ जलने की वजह से चिपक गया है और एक कान जल कर आधा गिर गया है। दिसम्बर 2019 में पहली बार दिल्ली के अस्पताल में इसका ऑपरेशन कराया था और डॉक्टर ने कहा था कि हर 3 महीने में सर्जरी होगी जिससे 4 से 5 सर्जरी के बाद ही ये ठीक हो सकेगी। पासवान ने कहा कि करीब 1 मार्च को मेरा परिवार दिल्ली आया था। मैं, मेरी बीवी, मां, पिता और मेरी बेटी। राम मनोहर लोहिया में मेरी बेटी की सर्जरी होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से बंदी में हम यहां फंसे रह गये।
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उन्होंने बताया कि करीब दो महीने हो गए, इन बीते दिनों में हमें काफी परेशानी उठानी पड़ी। मेरी बहन यहां रहती थी, वो वापस बिहार चली गई थी। हम दिल्ली के प्रहलादपुर में फंसे हुये हैं। हमें एक शख्स ने 500 रुपये दिये और परसो एक महिला (योगिता) ने आकर हमें राशन दिया और भरोसा दिलाया कि हम आगे भी मदद करते रहेंगे, हम अपने घर जाना चाहते है लेकिन नहीं जा पा रहे है। सामाजिक कार्यकर्ता योगिता ने आईएएनएस को बताया, “इन्होंने मुझे कॉल करके मदद मांगी और घर जाने की इच्छा जाहिर की और राशन की समस्या भी बताई। जिसके बाद मैंने सबसे पहले इन्हें राशन मुहैया कराया और मैंने इन्हें कहा भी है कि मैं आगे भी मदद करती रहूंगी। ये शख्स पहले ही एक परेशानी से गुजर रहे हैं। इनको वापस भेजने को लेकर भी प्रयास जारी है।