दरअसल, बीते 14 नवंबर को शिवाजी की मां जीजाबाई के वंशज ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर लंदन में रखी छत्रपति की तलवार को वापस लाने का अनुरोध किया था। अब तक उन्हें पत्र के जवाब का इंतजार है और यह भी उम्मीद है कि पीएम मोदी इस बात को समझेंगे।
प्रो. नामदेव जाधव ने लिखी थी चिट्ठी शनिवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक मीडिया हाउस से बातचीत में यह बात सामने आई। छत्रपति शिवाजी की माता जिजाऊ के वंशज प्रो. नामदेव जाधव ने इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अब तक उन्हें इस पत्र के जवाब का इंतजार है। प्रो. जाधव उज्जैन में छत्रपति शिवाजी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित स्वर संवाद संस्था के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे।
उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान से ज्यादा इंग्लैंड में ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की कवायद की जाती है। उन्होंने भारत में इन धरोहरों को नजरअंदाज किए जाने के बारे में बताते हुए कहा कि अगर छत्रपति की तलवार ही क्या देश के अन्य महापुरुषों के तमाम अलंकरण देश में होते तो या तो उनमें दीमक लग चुकी होती या फिर वे जल गए होते।
यूरोप में शिवाजी के बारे में पढ़ाया जाता है प्रो. जाधव ने बड़ी हैरानी जताते हुए कहा कि यह सोचने वाली बात है कि हमारे देश के महापुरुष यानी छत्रपति शिवाजी के नाम से यूरोप में ‘शिवाजीः द मैनेजमेंट गुरु’ एक मशहूर विषय है। हाल ही में मैक्सिको से 10 स्टूडेंट्स उनसे जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए उनके पास आए थे।
उन्होंने सरकार से अपील की कि हिंदुस्तान में भी आईआईटी-आईआईएम जैसे इंस्टीट्यूट्स में शिवाजी को स्लेबस में शामिल किया जाना चाहिए। हालांकि पिछले सप्ताह ही महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में एक घोषणा की थी, लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि इसे अमल में कब लाया जाता है।
भारतीय नौसेना के जनक थे शिवाजी गौरतलब है कि प्रो. नामदेवराज जाधव एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) चलाते हैं, जिसका नाम राजमाता जिजाऊ है। देश के महान योद्धा के रूप में मशहूर छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था।डेक्कन की सेना में सेनापति शाहजी भोसले उनके पिता थे।
मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले शिवाजी ने छापेमार युद्ध की नई शैली पेश की थी। एक सफल सेनानायक और कूटनीतिज्ञ शिवाजी को भारतीय नौसेना का भी जनक माना जाता है। उन्होंन भारतीय संस्कृति को बढ़ाने के उद्देश्य से फारसी की बजाय मराठी और संस्कृत को राजकीय भाषा बनाया।