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जानिए क्या है Time Capsule जो राममंदिर के नीचे रखा जाएगा, Indira Gandhi भी लालकिले के नीचे दफना चुकीं

अयोध्या में Ram Mandir की नींव में 200 फीट नीचे रखा जाएगा Time Capsule
15 August 1973 में Ex PM Indira Gandhi भी Red Fort की इमारतों में रखवा चुकी हैं Time Capsule
इंदिरा गांधी ने टाइम कैप्सूल में क्या रखवाया था, ये अभी तक बना हुआ है रहस्य

Jul 28, 2020 / 01:23 pm

धीरज शर्मा

राम मंदिर की नींव में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल, 1973 पूर्व पीेम इंदिरा गांधी भी लाल किले में रखवा चुकीं

नई दिल्ली। अयोध्या में 70 एकड़ में बनी राम जन्मभूमि ( Ram Janmabhumi ) परिसर में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) मंदिर की नींव रखेंगे। इस कार्यक्रम को लेकर तैयारियां भी जोरों पर हैं। इन तैयारियों में एक और काम बड़ी तेजी से हो रहा है वो है अयोध्या में राम जन्मभूमि के इतिहास को सहेजने का काम। इसके लिए मंदिर निर्माण स्थल पर जमीन से 200 फीट नीचे राम मंदिर ट्रस्ट ( Ram Mandir Trust ) की ओर से टाइम कैप्सूल ( Time Capsule ) रखे जाने की तैयारी है। ये टाइम कैप्सूल में भी पीएम मोदी रखेंगे।
टाइम कैप्सूल के बारे में आप सोच रहे होंगे आखिर ये है क्या। दरअसल ये कोई नहीं चीज नहीं टाइम कैप्सूल का इस्तेमाल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी कर चुकी हैं। पूर्व पीएम ने लालकिला परिसर में जमीन में 32 फीट नीचे एक टाइम कैप्सूल रखवाया था।
अयोध्या के इतिहास को संजोने के इस प्रयास ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ( Indira Gandhi ) के इस उस टाइम कैप्सूल की याद को भी ताजा कर दिया। आईए जानते हैं पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने क्यों और कब रखवाया था टाइम कैप्सूल। साथ भी ये जानेंगे कि आखिर ये टाइम कैप्सूल होता क्या है।
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अयोध्या में राम जन्मभूमि के इतिहास को सहेजने के मकसद से 200 फीट ने टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। हालांकि ऐसा टाइम कैप्सूल पहले भी पूर्व प्रधानमंत्री लालकिले की इमारतों में रखवा चुकी हैं।
15 अगस्त 1973 में इंदिरा गांधी ने लालकिले की नींव में ऐसा ही एक ‘टाइम कैप्सूल’ डाला था। इसे ‘कालपत्र’ का नाम दिया गया था। विपक्ष के लोगों ने आरोप लगाया था कि इस कालपत्र में इंदिरा ने अपने परिवार का उपलब्धियां गिनाई हैं।
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हालांकि तात्कालिन सरकार चाहती थी कि आजादी के 25 साल बाद की स्थिति को इसमें सहेजकर रखा जाए। इसे बनाने की जिम्मेदारी इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्ट्रिकल रिसर्च ( ICHR ) को दी गई। वहीं मद्रास क्रिश्चन कॉलेज के हिस्ट्री प्रोफेसर एस कृष्णासामी ने पाण्डुलिपि तैयार करने को कहा गया था।
खास बात यह है कि इस ‘कालपत्र’ में उस वक्त वास्तिवकता में क्या लिखा गया था, इसके बारे में अब तक किसी को कोई जानकारी नहीं मिली है।

दरअसल 1977 में जब मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार आई तो उन्होंने इस टाइम कैप्सूल को बाहर निकलवा दिया। हालांकि तब ये मामूल नहीं चल सका कि आखिर इस कालपत्र में क्या था। वो एक रहस्य ही बना हुआ है।
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ये होता है ‘टाइम कैप्सूल’
टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है, जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। इस जानकारियों को एक खास तरह के सामग्री से बने कंटेनर में रखा जाता है।
ये ज्यादातर एक कैप्सूल के आकार का होता है। इस कंटेनर में हर तरह के मौसम का सामने करने की क्षमता होती है। गहराई में दफनाने के बाद भी वर्षों तक इस पर कोई असर नहीं पड़ता है।

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