क्या है मामला दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) सुनील अरोड़ा ने रविवार को घोषणा की थी कि आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान सभी मतदान केंद्रों पर EVM के साथ VVPAT का इस्तेमाल किया जाएगा। चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक, हालांकि “VVPAT पेपर स्लिप्स का इस्तेमाल राज्य विधानसभा के चुनाव के मामले में किसी एक विधानसभा क्षेत्र के बेतरतीब ढंग से चुने गए किसी एक मतदान केंद्र पर किया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने 21 विपक्षी दलों की याचिका पर चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं की मांग है कि आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा में एक साथ होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस दिशानिर्देश को समाप्त कर दिया जाए। साथ ही 50 फीसदी मतों का VVPAT के जरिये सत्यापन किया जाए।
याचिका में कहा गया है, “हर विधानसभा क्षेत्र/हिस्से में बेतरतीब ढंग से 50 फीसदी मत सत्यापन एक उचित प्रकार का नमूना है, जो (क) ईवीएम छेड़छाड़ को लेकर आम जनता में बैठे डर, और (ख) ईवीएम सही से काम कर रही हैं यह सुनिश्चित करने के लिए सांख्यिकीय रूप से एक महत्वपूर्ण नमूनों का आकार लाता है।”
कैसे उठा विरोध ईवीएम को लेकर राजनीतिक बहस अभी भी जारी है और यह उस वक्त काफी ऊपर पहुंच गई थी, जब एक स्व-घोषित साइबर विशेषज्ञ ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया था कि उसने बीते लोकसभा चुनाव वोटिंग मशीन को हैक करके जीते थे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तमाम राजनेताओं ने तब से इस मामले को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। फरवरी में तो ममता बनर्जी ने यहां तक कहा कि वह सुनिश्चित करेंगी कि उनके पार्टी के लोगों को ईवीएम छेड़छाड़ के खिलाफ प्रशिक्षित किया जाएगा।
क्या है वीवीपैट मतदान के दौरान वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT मशीनों का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि यह सत्यापित हो सके कि किसी मतदाता द्वारा डाला गया वोट सही उम्मीदवार को पहुंचा है। लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान पहली बार पेश की गई VVPAT का मकसद मतदाताओं का आत्मविश्वास बढ़ाने और मतदान में पारदर्शिता बरतना था।
बीते वर्ष मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ने चुनावों में 100 फीसदी VVPAT मशीनों के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया था और कहा था कि 16.50 लाख मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा।