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जिस दवा से डॉनल्ड ट्रंप का कोरोना संक्रमण ठीक हुआ, उसे भारत में मंजूरी तो मिल गई, मगर है बहुत महंगी

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप जब कोरोना संक्रमित हुए थे, तब इसी दवा से उनकी जान बचाई जा गई। अब यह दवा भारत में आ चुकी है और एक बुजुर्ग से इसका सफल इलाज भी हुआ है। मगर यह दवा दूसरी प्रचलित दवाओं से महंगी है।
 

May 29, 2021 / 09:50 am

Ashutosh Pathak

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नई दिल्ली।

देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) की दूसरी लहर का कहर अभी जारी है और तभी तीसरी लहर के आने की आशंकाओं ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। दावा किया जा रहा है कि तीसरी लहर अब तक की सबसे खतरनाक होगी और यह बच्चों को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी। इस बीच, एक अच्छी खबर यह है वैक्सीन के साथ-साथ कोरोना की दवाओं को लेकर भी लगातार प्रयोग हो रहे हैं। कुछ के नतीजे सुखद रहे, जिसके बाद उन्हें इलाज में शामिल करने की मंजूरी दे दी गई है।
डीआरडीओ की दवा के बाद अमरीकी कंपनी की एक दवा को भारत में इलाज के लिए मंजूरी दे दी गई। बता दें कि अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप जब कोरोना संक्रमित हुए थे, तब इसी दवा से उनकी जान बचाई जा गई। अब यह दवा भारत में आ चुकी है और एक बुजुर्ग से इसका सफल इलाज भी हुआ है। मगर यह दवा दूसरी प्रचलित दवाओं से महंगी है।
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सटीक दवा को लेकर तमाम देशो में शोध अभी भी हो रहा
दरअसल, कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर अभी तक न तो सटीक वैक्सीन बाजार में आई है और न ही कोई दवा, जिसे लेकर विशेषज्ञ इस महामारी को खत्म करने का दावा कर सकते हों। ऐसे में दवाओं के साथ प्रयोग दुनियाभर के तमाम देशों में हो रहा है। इस बीच, भारत में एंटीबॉडी कॉकटेल दवा पहुंच चुकी है। इसी दवा से अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप जब कोरोना संक्रमित हुए थे, तब उन्हें ठीक किया गया था।
एंटीबॉडी कॉकटेल के इस्तेमाल से काफी फायदा होगा!
विशेषज्ञों का दावा है कि इस दवा के प्रयोग में लाने से काफी फायदा होगा। कोरोना संक्रमित लोगों का अस्पताल पहुंचने का सिलसिला इसके उपयोग के बाद करीब 70 प्रतिशत तक कम हो सकता है। यानी कोरोना संक्रमित होने के बाद ऐसे लोग जिन्हें अस्पताल ले जाने की जरूरत हो रही थी, उनमें करीब 70 प्रतिशत केस इस दवा के इस्तेमाल से घर पर ही ठीक किए जा सकते हैं। हालांकि, इस दवा की जो कीमत सामने आई है, वह काफी अधिक है। ऐसे में गरीब और मध्यम वर्ग के लोग कैसे इसका इस्तेमाल कर पाएंगे, यह बड़ा सवाल होगा।
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मरीज को अस्पताल मे भर्ती कराने की जरूरत नहीं होगी!
बहरहाल, डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने के बाद जो खर्च बढ़ रहा है, इस दवा कि इस्तेमाल से वह खर्च बच सकता है और ऐसे में बढ़ी राशि बचाई जा सकती है। वैसे भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जब आई, तब अस्पतालों में बेड की कमी और इसके अलावाा ऑक्सीजन नहीं मिलने से भी लोगों की जान जा रही थी। कई जगह लापरवाही की बात भी सामने आई है। ऐसे में यदि अस्पताल गए बिना जान बचाई जा सके, तो यह दवा कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है।
सिंगल डोज की कीमत करीब 60 हजार रुपए
हाल ही में एंटीबॉडी कॉकटेल को भारत में आपातकाल स्थिति में इलाज के लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑगनाइजेशन की ओर से मंजूरी दे दी गई है। आपको बता दें कि इस दवा को भारत से पहले अमरीका और कई यूरोपीय देश अपने यहां आपातकाल स्थिति में इलाज के लिए मंजूरी दे चुके हैं। वैसे भारत में इस एंटीबॉडी कॉकटेल के सिंगल डोज की कीमत टैक्स सहित 59 हजार 750 रुपए पड़ रही है।
गरीब और मध्यम वर्ग के लिए यह काफी महंगी
यदि सिंगल डोज से काम चल जाए, तो भी जान बचाने और तमाम झंझावतों से बचने के लिए यह सौदा बुरा नहीं है, मगर विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर कोरोना संक्रमितों को कई डोज देने की जरूरत पड़ती है और ऐसे में इसका खर्च उठा पाना सबके (खासकर गरीब और मध्यम वर्ग) लिए संभव नहीं हो सकता।
दो दवाओं को निश्चित मात्रा में खास तरीके से मिलाकर होती है तैयार
डॉक्टरों के अनुसार, एंटीबॉडी कॉकटेल दो दवाओं का मिश्रण है। ये दो दवाएं कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्डेविमाब (Imdevimab) हैं। इनकी बराबर और निश्चित मात्रा जो कि 600-600 मिलीग्राम के मिश्रण को खास तरीके से मिलाया जाता है। इससे जो कॉकटेल दवा तैयार होती है, उसे ही एंटीबॉडी कॉकटेल कहा जाता है। कोरोना संक्रमितों को यह दवा दी जाए, तो यह कॉकटेल वायरस को कोशिकाओं के अंदर जाने से रोकती है। इससे वायरस की संख्या बढ़ती नहीं है और उनकी संख्या लगातार कम होती जाती है। शरीर में अधिक मात्रा में वायरस के होने से ही किसी व्यक्ति की मौत होती है।

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