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आईसीएमआर के अनुसार मध्य प्रदेश 79 प्रतिशत ‘सीरोप्रीवैलेंस’ के साथ सूची में सबसे ऊपर माना गया है। वहीं केरल 44.4 प्रतिशत के साथ सबसे नीचे है। वहीं असम में ‘सीरोप्रीवैलेंस’ 50.3 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 58 प्रतिशत है। भारत के 70 जिलों में आईसीएमआर के राष्ट्रीय सीरो सर्वे के चौथे दौर के निष्कर्षों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को साझा किया।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुझाव दिया
सर्वेक्षित जनसंख्या में ‘सीरोप्रीवैलेंस’ राजस्थान में 76.2 प्रतिशत, बिहार में 75.9 प्रतिशत, गुजरात में 75.3 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 74.6 प्रतिशत, उत्तराखंड में 73.1 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 71 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 70.2 प्रतिशत, कर्नाटक में 69.8 प्रतिशत, तमिलनाडु में 69.2 प्रतिशत और ओडिशा में 68.1 प्रतिशत है। इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुझाव दिया है कि वे आईसीएमआर के परामर्श से स्वयं के सीरो अध्ययनों का संचालन करें। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि ये अध्ययन एक मानकीकृत प्रोटोकॉल का पालन करते हैं।
जिला स्तर पर सीरो सर्वे
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को जिला स्तर पर सीरो सर्वे करने का आदेश दिया है। इससे कोरोना संक्रमण की सही स्थिति का पता चल सकेगा। केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वह आईसीएमआर के साथ मिलकर इस सर्वे को अंजाम दें। इसे जल्द से जल्द पूरा करें। इससे पहले चौथे सीरो सर्वे के दौरान आईसीएमआर ने साफ करा कि ये परिणाम राज्यों के हैं। इसे जिला स्तर पर नहीं माना जा सकता है। ये देश में संक्रमण के स्तर को दर्शाता है। इसी के अनुसार राज्य में हालात का अंदाजा होता है। इसको समझने के लिए अब जिला स्तर के सर्वे पर जोर दिया जा रहा है।
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भारत में चार माह के अंदर कोरोना वायरस के एक दिन में सबसे कम मामले सामने आए। इस बीच सरकार ने कहा कि एक सीरो सर्वे में यह पाया गया है कि देश की आबादी के दो-तिहाई हिस्से में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी पाई गई है। मगर ये भी कहा गया है कि करीब 40 करोड़ लोगों को अब भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है और ढिलाई की कोई संभावना नहीं है।