इतने वर्षों के बाद इस घटना के कई जख्म अभी भी हरे हैं। हालांकि तबाह हुई केदारपुरी को संवारने की कोशिश अभी भी जारी है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने केदारपुरी में पुनर्निर्माण की शुरुआत की, उस पर भाजपा सरकार भी काम कर रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी के कारण केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य जोरों पर है।
यह भी पढ़ें
आखिर क्यों एक राष्ट्र एक राशन योजना पर है टकराव? केंद्र की स्कीम पर दिल्ली सरकार जता रही संदेह
पहले चरण के कार्य अब तक पूरे हो चुके हैं और दूसरे चरण के कार्यों पर काम बाकी है। यात्रा की दृष्टि से देखा जाए तो तीर्थयात्रियों के खाने, ठहरने जैसी सुविधाओं और व्यवस्थाओं में सुधार आया है। इससे साफ है कि बीते कुछ सालों में यात्रा पटरी पर लौटी है। मगर कोरोना की मार से धाम में बीते डेढ़ वर्षों से श्रद्धालुओं का आना जाना बंद है। पहले की केदारपुरी में अब काफी कुछ बदल गया है। 16 जून 2013 में आई आपदा ने केदारनाथ में भारी तबाही मचाई थी। जलप्रलय के खौफ ने घाटी के सैकड़ों परिवारों को मैदानों में पलायन करने पर मजबूर कर दिया। इनका बसेरा पहले पहाड़ों पर था। आज भी जब यहां पर बारिश होती है तो खौफनाक यादों के रूप में त्रासदी के जख्म हरे हो जाते हैं।
केदारनाथ आपदा के वो गहरे जख्म केदारनाथ आपदा में 4400 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई या लापता हो गए। 4200 से अधिक गांवों का पूरी तरह से संपर्क टूट गया। 2141 भवन पूरी तरह से बर्बाद हो गए। जलप्रलय में 1309 हेक्टेयर कृषि भूमि खराब हो गई। प्रलय के दौरान सेना व अर्द्ध सैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को बचाया। वहीं 30 हजार लोगों को पुलिस ने बचाया। 55 नरकंकाल खोजबीन में पाए गए। आपदा से पहले बने 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया। 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल बर्बाद हो गए। प्रलय में 2385 सड़कों के साथ 86 मोटर पुल और 172 बड़े व छोटे पुल बह गए।
यह भी पढ़ें
यूरोप के सबसे बड़े डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करेंगे पीएम मोदी, वीवा टेक का पांचवां संस्करण
पुनर्निर्माण पर 2300 करोड़ खर्च हुए 2013 की आपदा में तबाही के बाद पुनर्निर्माण से जुड़े मध्यकालिक और दीर्घकालिक कार्यों पर करीब 2700 करोड़ रुपये खर्च हुए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार करीब 2,300 करोड़ रुपये की राशि को सड़कों, पुलों, बेघर लोगों के आवास निर्माण पर खर्च किए गए। प्रोजेक्ट के तहत 2,382 भवनों को तैयार किया गया।