कैमरे की निगरानी में रोज होगी सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कठुआ मामले में कहा कि पठानकोट में मामले की सुनवाई रोजना होगी। ये सुनवाई कैमरे की निगरानी में कराई जाएगी। जम्मू कश्मीर सरकार को पठानकोट में सुनवाई के लिए अपना वकील नियुक्त करने की भी इजाजत मिली है। मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कठुआ मामले में कहा कि पठानकोट में मामले की सुनवाई रोजना होगी। ये सुनवाई कैमरे की निगरानी में कराई जाएगी। जम्मू कश्मीर सरकार को पठानकोट में सुनवाई के लिए अपना वकील नियुक्त करने की भी इजाजत मिली है। मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी।
कोर्ट ने खारिज की सीबाआई जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच कराने की याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा वाली बेंच ने अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। बता दें कि एक दिन पहले ही महबूबा मुफ्ती ने ये कहा था कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की कोई जरूरत नहीं है, अगर लोगों को राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है तो किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच कराने की याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा वाली बेंच ने अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। बता दें कि एक दिन पहले ही महबूबा मुफ्ती ने ये कहा था कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की कोई जरूरत नहीं है, अगर लोगों को राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है तो किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में क्या कहा गया
पीड़ित परिवार की तरफ से केस लड़ रही दीपिका राजावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में कहा गया कि इस केस को जम्मू-कश्मीर से चंडीगढ़ ट्रांसफर किया जाए। इसके अलावा जब तक केस चंडीगढ़ ट्रांसफर नहीं हो जाता, तब तक इस केस की जांच आगे न बढ़ाई जाए। पीड़ित परिवार को इस बात का डर है कि जम्मू-कश्मीर के अंदर इस केस का ट्रायल ठीक से नहीं हो पाएगा। साथ ही याचिका में कहा गया है कि नेताओं को भी आरोपियों और खासकर नाबालिग आरोपी से न मिलने दिया जाए।
पीड़ित परिवार की तरफ से केस लड़ रही दीपिका राजावत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में कहा गया कि इस केस को जम्मू-कश्मीर से चंडीगढ़ ट्रांसफर किया जाए। इसके अलावा जब तक केस चंडीगढ़ ट्रांसफर नहीं हो जाता, तब तक इस केस की जांच आगे न बढ़ाई जाए। पीड़ित परिवार को इस बात का डर है कि जम्मू-कश्मीर के अंदर इस केस का ट्रायल ठीक से नहीं हो पाएगा। साथ ही याचिका में कहा गया है कि नेताओं को भी आरोपियों और खासकर नाबालिग आरोपी से न मिलने दिया जाए।