नई दिल्ली : इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा पर 1580 तीर्थयात्री जाएंगे। इस बार 500 यात्री भी नाथू ला के सड़क मार्ग से वहां पहुंचेंगे। 50-50 श्रद्धालुओं वाले 10 जत्थे नाथुला दर्रा और 60-60 श्रद्धालुओं वाले 18 जत्थे पारंपरिक मार्ग लिपुलेख दर्रे के रास्ते अपनी यात्रा पूरी करेंगे। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वालों का नाम कंप्यूटर ड्रॉ में निकाला गया है।
इस साल हेल्पलाइन हुई शुरू विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को दिल्ली में विदेश मंत्रालय के एक कार्यक्रम में बताया कि यात्रा के लिए नाथू ला पास को फिर से खोल दिया गया है। सुषमा स्वराज ने इस बारे में चीन के विदेश मंत्री से बात की थी। विदेशमंत्री ने कहा कि ‘जब तक भारत-चीन के नागरिकों के बीच रिश्ते नहीं सुधरेंगे तब तक दोनों देशों के रिश्ते मधुर नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष चीन द्वारा नाथू ला पास बंद कर दिए जाने के बाद कड़वाहट पैदा हो गई थी। लेकिन मुझे अब यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यात्रा के लिए नाथू ला पास फिर खोल दिया गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर के यात्रियों की सुविधा के लिए इस साल हेल्पलाइन शुरू की गई है। हेल्पलाइन शुरू होने से यात्रियों को मार्ग में किसी तरह की कोई समस्या होने पर वो सीधा हमसे संपर्क साध सकें और हम उनकी मदद के लिए कदम उठाए सकें।
कठिन होती है मानसरोवर यात्रा मानसरोवर की यात्रा कठिन होती है। बर्फ़ीले रास्तों पर चलना होता है। चीन में सरहद पार करने के बाद बस या कार से यात्रा करना होता है फिर दायचिंग के इलाक़े में पहुंचते हैं जहां बेस कैंप है। बता दें कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा काफी कठिन मानी जाती है। इसका ड्रॉ निकलने से पहले श्रद्धालुओं की मेडिकल जांच होती है। 18 वर्ष से अधिक और 70 वर्ष से कम उम्र के श्रद्धालु ही इस यात्रा पर जा सकते हैं। कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है। यह हिमालय के केंद्र में है। मानसरोवर वह पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं।