डॉक्टर्स के सामने ढीले पड़े ममता के तेवर, घायलों से मिलने जाएंगी अस्पताल
बता दें कि 2007 में 22 वर्षीय ज्योति चौधरी की उनकी कंपनी के कैब ड्राइवर और उनके दोस्त ने मिलकर रेप के बाद हत्या कर दी थी। इस मामले में पुणे की जिला न्यायालय ने 2012 में दोनों को दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई थी। बाद में सजा को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने 2015 में भी बरकरार रखा था।
राष्ट्रपति ने खारिज की दया याचिका
इसके बाद दोनों दोषियों ने इस मामले में राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी। लेकिन 2016 में भारत के राष्ट्रपति ने इसे खारिज कर दिया था। इस साल अप्रैल में पुणे की एक अदालत ने 24 जून को दोनों की फांसी की सजा मुकर्रर की है। ज्योति के वकील युग चौधरी ने भी कोर्ट से दोनों को मौत की सजा देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। वकील के मुताबिक, इस याचिका पर 19 जून को सुनवाई होनी है।
क्या है मामला
मामला एक नवंबर 2007 की रात का है। 22 वर्ष की बीपीओ कर्मचारी ज्योति चौधरी नाइट शिफ्ट के लिए रात करीब 10 बजे कंपनी कैब से ऑफिस जा रही थी। रोज की तरह कैब ड्राइवर पुरुषोत्तम बोराटे चला रहा था। बोराट ने ज्योति को उसके घर से गाड़ी में बिठाया था। लेकिन वारदात की रात उसने कुछ देर बाद अपने दोस्त प्रदीप कोकाटे को भी गाड़ी में बिठा लिया और ज्योति को सुनसान जगह ले गया। जिस समय ये सब हो रहा है उस वक्त ज्योति मोबाइल पर अपने दोस्त से बात कर रही थी, इसलिए उसका रास्ते पर ध्यान नहीं गया।
दोनों ने जब सुनसान जगह पर गाड़ी रोकी तो ज्योति को शक हुआ और उसने उनका विरोध भी किया। इस दौरान उसका दोस्त फोन पर था और वह सारी बातें सुन रहा था। लेकिन कुछ देर बाद ज्योति का फोन अनरीचेबल आने लगा। अगले दिन ज्योति का खून में लथपथ शव पुणे के बाहरी इलाके में मिला। पोस्टमार्टम में सामने आया कि बलात्कार के बाद ज्योति का गला दबाकर हत्या कर दी गई थी।
निर्मम हत्या
सरकारी वकील ने अपराधियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कोर्ट में बताया कि बलात्कार करने के बाद दोनों ने पहले ज्योति के दाहिने हाथ की नसें काटी। इसके बाद फिर उसी के डूपट्टे से उसका गला गोंट था। इससे भी उनका मन नहीं भरा तो दोषियों ने बड़े से पत्थर से उसके सिर पर जोरदार वार किया, ताकि उसकी पहचान ना हो सके।