पूणे में किया जाएगा यह संयुक्त सैन्य अभ्यास
आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक यह सैन्य अभ्यास पुणे में किया जाएगा। इस संयुक्त युद्धाभ्यास का मकसद काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन में एक दूसरे देश का सहयोग करने के साथ ही मिलिट्री फोरम बनाना है। बता दें कि इससे पहले तक पीएम मोदी अपनी विदेश यात्राओं में यह कहते रहे हैं कि आतंक से लड़ने के लिए हमें एक साथ एक मंच पर आना होगा। गौरतलब है कि भारत ने 2012 से दूसरे देशों की सेनाओं के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास करने की संख्या को बढ़ा दी है। भारत ने 2012 में 8 देश, 2013 और 2014 में 6, 2015 में 9, 2016 में 14, 2017 में 15 और 2018 में अबतक 7 सैन्य अभ्यास किए हैं। आपको बता दें कि भारत म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर चिंतित है और आंतरिक सुरक्षा पर खतरा महसूस कर रहा है। यदि भारत अपने 6 पड़ोसी देशों के साथ मिलकर एक रीजनल सिक्योरिटी फोरम बनाने में कामयाब रहा तो अपनी आंतरिक सुरक्षा को लेकर कुछ हद तक चिंताओं से मुक्त हो सकता है। क्योंकि आतंकवादी और घुसपैठिए इन्ही देशों के बॉर्डर से होते हुए भारत में दाखिल होते हैं जो कि रीजनल सिक्योरिटी फोरम उन पर लगाम लगाने में सफल हो सकता है।
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सितंबर में शुरू होंगे सैन्य अभ्यास
आपको बता दें कि बंगाल की खाड़ी इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) देशों के लिए पहली पसंद है। सभी देश सैन्य अभ्यास के लिए बंगाल की खाड़ी को तरजीह देते हैं। अब इस संयुक्त अभ्यास के तहत यह तय किया गया है कि आगामी 10 से 16 सितंबर तक भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, थाइलैंड और म्यांमार की सेनाएं मिलकर सैन्य अभ्यास करेंगे। सबसे खास बात यह है कि यह बिम्सटेक देशों की पहली संयुक्त सैन्य अभ्यास है और भारत इसकी मेजबानी कर रहा है। बता दें कि इन सभी सात देशों की सेना से 5-5 ऑफिसर और 25-25 दूसरे रैंक के फौजी इसमें शिरकत करेंगे। गौरतलब है कि 15-16 सितंबर को इन सभी सात देशों के सेना प्रमुख एक संयुक्त प्रेस वार्ता करेंगे। इस दौरान सभी सेना प्रमुख अपने-अपने देशों की सुरक्षा के मद्देनजर इस मल्टी नेशन एक्सरसाइज का रिव्यू करेंगे। इसके अलावे एक रीजनल सिक्योरिटी फोरम बनाने पर भी चर्चा कर सकते हैं जिससे कि आतंकवादियों से मिलकर लड़ा जा सके।