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मोदी सरकार के काल में दलितों पर बढ़े हैं अत्याचार
मीडिया से बात करते हुए मेवाणी ने कहा कि यह सरकार सांप्रदायिक, जातिवादी, फांसीवादी, पूंजीवादी और नकारा है। देश में दिनों दिन दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, जितना अत्याचार चार साल में मोदी सरकार के कार्यकाल में हुआ उतान पहले कभी देखने को नहीं मिला। उन्होंने कहा कि ऊना के दलितों, रोहित वेमुला और सहारनपुर के पीड़ितों को भी तक न्याय नहीं मिला। इन्होंने चंद्रशेखर आजाद रावण को जेल में डाल दिया।
कोई दलित कार्ड नहीं खेला जा रहा, अवाज उठाई जा रही है
दलिक नेता ने कहा कि ये मनुस्मृति को जलाने के बजाय संविधान को जला रहे हैं। एट्रोसिटी के कानून को बिगाड़ रहे हैं। संविधान से छेड़छाड़ कर रहे हैं। अंबेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी जा रही हैं। ऐसे में दलित तो नाराज होंगे ही। वहीं, दलित कार्ड का आरोप लगने वाले सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हां, रामविलास पासवान जैसे लोग आरोप लगाते हैं कि देश में जाति कार्ड विशेष रूप से दलित कार्ड खेला जा रहा है, लेकिन मैं साफ कर दूं कि कोई दलित कार्ड नहीं खेल रहा है, जो लोग पीड़ित हैं, वे आवाज उठा रहे हैं। यह उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। मगर सरकार ने विरोध की हर आवाज को दबाने की सोच रखी है और दबाने की कोशिश भी कर रही है।’
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युवाओं को राजनीति से जोड़ने का किया आह्वान
‘शहरी नक्सली’शब्द का जिक्र करते हुए जिग्नेश ने कहा कि यह सारी चीजे शहरी पागलों ने ही ईजाद की है। यह दलित आंदोलन को पटरी से हटाने की साजिश है। इंसानों के हक के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं को डराने और मोदी जी के लिए सहानुभूति हासिल करने की कोशिश है। वहीं, बड़ी संख्या में युवाओं को राजनीति से जोड़ने का आह्वान करते हुए जिग्नेश ने कहा कि वह खुद को युवा नेता कहलवाना पसंद करते हैं और उनका मानना है कि युवा बेहतर तरीके से राजनीति से जुड़ें, तो देश और राजनीति की दिशा बदल सकती है।