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रमजान और चुनावों के बारे में चर्चा को जावेद अख्तर ने बताया घृणित, ट्वीट कर की निंदा

लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सियासी सरगरमी तेज हो चली हैं।
सबसे अधिक घमासान रमजान के दौरान पड़ रहे मतदान के चरणों को लेकर मचा है।
लेखक जावेद अख्तर ने रमजान में चुनावी कार्यक्रम को लेकर पूरी चर्चा को घृणित बताया।

 

Mar 12, 2019 / 10:44 am

Mohit sharma

रमजान और चुनावों के बारे में चर्चा को जावेद अख्तर ने बताया घृणित, ट्वीट कर की ​निंदा

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सियासी सरगरमी तेज हो चली हैं। सबसे अधिक घमासान रमजान के दौरान पड़ रहे मतदान के चरणों को लेकर मचा है। कुछ विपक्षी पार्टियों ने इस चुनाव कार्यक्रम को लेकर आपत्ति जताई है। वहीं, बॉलीवुड के मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने रमजान में चुनावी कार्यक्रम को लेकर हो रही इस पूरी चर्चा को घृणित बताया है। उन्होंने एक ट्वीट के माध्यम से कहा कि यह धर्मनिरपेक्षता का विकृत और विक्षेपित संस्करण है, जो मेरे लिए प्रतिकारक और असहनीय है। चुनाव आयोग को इस पर विचार नहीं करना चाहिए।

 

रमजान में मतदान होने से चुनावी नतीजे होंगे प्रभावित

आपको बता दें कि रमजान में चुनावी तारीखों पर आपत्ति जता रहीं राजनीतिक दलों का कहना है कि रमजान में मतदान होने से चुनावी नतीजे प्रभावित होंगे। इसका कारण उन्होंने बताया कि रमजान में मुस्लिम लोग भूखे-प्यासे रहकर रोजा रखते हैं और ऐसे में वो घर से बाहर निकलने से बचते हैं। यही वजह है कि मतदान के लिए घंटों कतारों में खड़ा होना उनके लिए असहनीय होगा। जिसका प्रभाव मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में कम मतदान के रूप में देखने को मिलेगा। वहीं, लोकसभा चुनाव कार्यक्रम को लेकर उत्पन्न विवाद पर निर्वाचन आयोग ने सोमवार को कहा कि रमजान के पूरे महीने के लिए चुनाव स्थगित करना संभव नहीं था और कहा कि मुख्य त्योहार दिवसों और शुक्रवारों को चुनाव से मुक्त रखा गया है।

मतदाताओं की उपस्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा: ओवैसी

वहीं, मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मुस्लिमों के पाक महीने रमजान में चुनाव होने का मतदाताओं की उपस्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा इस तरह का विवाद उठाने को लेकर निंदा की। हैदराबाद से सांसद ने उम्मीद जताई कि रमजान के दौरान मतदान का प्रतिशत ज्यादा होगा, क्योंकि उपवास के महीने के दौरान महसूस होने वाली आध्यात्मिकता की वजह से अधिक संख्या में मुस्लिम बाहर आएंगे व वोट डालेंगे।

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