नई दिल्ली। दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया ने इस साल अपने दीक्षांत समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य अतिथि बनने का न्यौता भेजा है। यूनिवर्सिटी को अब प्रधानमंत्री कार्यालय से हामी का इंतजार है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने बाटला हाउस मुठभेड़ को लेकर सवाल उठाने परे जामिया मिलिया इस्लामिया की आलोचना की थी।
मोदी ने साल 2008 में गुजरात में एक जनसभा में कहा था कि दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया नामक एक विश्वविद्यालय है। उसने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि वह इस हरकत में शामिल आतंकवादियों के कानूनी शुल्क का वहन करेगा। जाओ डूब मरो। यह जामिया मिलिया सरकारी धन से चलाया जा रहा है और यह आतंकवादियों को जेल से बाहर निकलवाने के लिए वकीलों पर धन खर्च करने का दुस्साहस कर रहा है। वोटबैंक की यह राजनीति कब बंद होगी।
मोदी का बयान जामिया के तत्कालीन कुलपति मुशीरूल हसन के इस कथन के बाद आया था कि विश्वविद्यालय अपने दो विद्यार्थियों के लिए कानूनी सहायता देगा जिन्हें आतंकवादी गतिविधियों में संदिग्ध रूप से संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया गया था।
विश्वविद्यालय के प्रवक्ता मुकेश रंजन ने बताया कि हम अपने विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी करने को लेकर आशान्वित हैं। हमने उन्हें अपने वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनने के लिए इसी महीने के शुरु में न्यौता दिया था। हमें अबतक प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई संदेश नहीं मिला है। पिछले साल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे। जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना 1920 में हुई थी और उसे 1988 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था।