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आठ साल से नासूर जैसे रिस रहा है जयपुर-दिल्ली राजमार्ग

करीब एक लाख की आबादी वाले मानेसर का फ्लाईओवर नहीं बनने से वाहनों को मात्र पांच किलोमीटर की दूरी तय करने में बीस से तीस मिनट लग जाते हैं।

Aug 29, 2017 / 04:37 pm

Prashant Jha

नई दिल्ली: राजस्थान में बड़े पैमाने पर राजमार्गों का उद्घाटन और शिलान्यास करा रहा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी और प्रादेशिक राजधानी को जोड़ने वाले जयपुर-दिल्ली राजमार्ग को भूला दिया है। पिछले आठ साल से नासूर की तरह रिस रहा यह राजमार्ग उन सात फ्लाईओवरों का इंतजार कर रहा है जिनके निर्माण के लिए केन्द्रीय मंत्री से लेकर राज्य सरकार के मंत्री पिछले तीन साल से सिर पटक रहे हैं, लेकिन निर्माण पटरी पर नहीं आ रहा। राजमार्ग पर अभी मानेसर से लेकर मनोहरपुर तक सात फ्लाईओवर बनने हैं। इन फ्लाईओवरों के नहीं बनने से छह लेन के राजमार्ग पर जयपुर से दिल्ली तक की दूरी को तय करने में सात से आठ घंटे लग जाते हैं जबकि गति सीमा के हिसाब से यह दूरी तीन से चार घंटे में तय होनी चाहिए।
सिक्स लेन करने की थी योजना
जानकारी के अनुसार अप्रैल 2009 में इस राजमार्ग को चार से छह लेन में बदलने की परियोजना हाथ में ली गई थी। परियोजना अक्टूबर 2011 में पूरी होनी थी। करीब 18 सौ करोड़ की यह परियोजना काम शुरू होने के बाद दो बार लागत बढ़ा दिए जाने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई। अभी परियोजना की लागत ४६ सौ करोड़ हो गई है, लेकिन सात फ्लाईओवरों का अधूरा निर्माण परियोजना प्रबंधन की क्षमता पर सवालिया निशान के साथ ही वाहन चालकों के गले की हड्डी बन गया है।
गुड़गांव से निकलते ही बाधाएं शुरू

छह लेन के इस राजमार्ग पर गुडग़ांव से जैसे ही जयपुर की दिशा में आगे बढ़ते हैं तो मानेसर का अधूरा फ्लाईओवर बाधाओं का आभास देना शुरू कर देता है। करीब एक लाख की आबादी वाले मानेसर का फ्लाईओवर नहीं बनने से वाहनों को मात्र पांच किलोमीटर की दूरी तय करने में बीस से तीस मिनट लग जाते हैं। दिन के व्यस्त घंटों में यह दूरी तय करने में एक घंटा तक लग जाता है। थोड़ा आगे चलते ही कापड़ीवास में सड़क को चीरते हुए रोहतक राजमार्ग की ओर जाने वाले वाहन हाइवे पर आए दिन जाम का कारण बनता है। इसी तरह धारूहेड़ा तक वाहनों को रास्ते में एक से अधिक बाधाएं पार करनी होती हैं। यही स्थिति बहरोड, कोटपूतली तक के रास्ते की है।
शाहपुरा और मनोहरपुर भी अछूते नहीं

कोटपूतली से करीब चालीस किलोमीटर आगे बसे शाहपुरा में पिछले आठ साल से फ्लाईओवर अधूरा है। इससे वाहनों को दोनों ओर बने संकरे डायवर्जन से निकलना पड़ता है। शाहपुरा के डायवर्जन इस वजह से हमेशा जाम जैसी स्थिति में रहते हैं। थोड़ा और आगे मनोहरपुर टोल प्लाजा के पास भी टूटी सड़क, संकरे डायवर्जन वाहनों की गति को बाधित करते हैं।
नहीं हुए वादे पूरे

इस राजमार्ग पर लगातार टोल वसूली के बावजूद गति नहीं मिलने से परेशान वाहन चालकों को केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी तीन बार आश्वस्त करने के साथ ही काम पूरा होने की तारीख तय कर चुके हैं लेकिन उनका एक भी वादा अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। गडकरी ने 1 जून 2014 को राजमार्ग का काम दिसम्बर 2015 में पूरा हो जाने का ऐलान किया, लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ा। दूसरी बार उन्होंने जून 2016 और तीसरी बार दिसंबर 2016 में काम खत्म हो जाने का आश्वासन दिया। गडकरी का आश्वसन तो पूरा नहीं हो पाया, लेकिन उनके राज्यमंत्री ने मार्च 2018 तक की तारीख जरूर दे दी है, लेकिन काम शुरू नहीं होने से यह उम्मीद भी कम है कि राज्यमंत्री का वादा भी पूरा हो पाएगा।

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