जगदीश खट्टर ने अपने जीवन का करीब 37 साल बतौर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के तौर पर काम किया। इस दौरान उन्होंने इस्पात मंत्रालय और यूपी सरकार के कई प्रमुख प्रशासनिक पदों पर काम किया। फिर उन्होंने एंटरप्रेन्योरशिप की ओर कदम बढ़ाते हुए मारुति सुजुकी को एक ऊंचाई तक पहुंचाया। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से मारुति को देश की सबसे बड़ी कार कंपनी बनाया।
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बता दें कि जगदीश खट्टर 1993 से 2007 तक मारुति उद्योग लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर रहे। हालांकि वे 1999 में कंपनी के पहले मैनेजिंग डायरेक्टर बने। इस पद के लिए सरकार ने उन्हें नॉमिनी चुना था। इसके बाद 2002 में वह सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के नॉमिनी चुने गए थे। जब 2007 में जगदीश खट्टर मारुति से रिटायर हुए तब उन्होंने कारनेशन ऑटो इंडिया (Carnation Auto India) नाम की खुद की कंपनी बनाई। यह ऑटोमोटिव सेल्स एवं सर्विस कंपनी है।
जगदीश खट्टर का जन्म एंटरप्रेन्योर्स से भरे परिवार में ही हुआ। यानी कि इनके परिवार में करीबन हर सदस्य एंटरप्रेन्योर्स के तौर पर काम करने वाला था। इनके परिवार ने इलेक्ट्रिसिटी बनाने और सप्लाई करने वाली कंपनी बनाई थी।
बाद में जब देश का विभाजन हुआ तब वो पाकिस्तान के हिस्से में चली गई। जगदीश खट्टर ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली के मशहूर सेंट स्टीफंस कॉलेज से की। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने एलएलबी किया। इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के तौर पर देश की सेवा में कार्यरत रहे।
जदगीश खट्टर ने उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार में 1969 से 1993 तक डीएम से लेकर जॉइंट सेक्रेटी तक के पदों पर रहते हुए अपनी सेवाएं दी। बतौर IAS सेवा समाप्त होने के बाद 1993 से लेकर 2007 तक ऑटो कंपनी मारुति उद्योग लिमिटेड के साथ जुड़े और मैनेजिंग डायरेक्टर पद से रिटायर हुए। जगदीश खट्टर की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि उनके ही कार्यकाल में मारुति सुजुकी कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी बनी।
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मारुति कंपनी से रिटायर होने के बाद जगदीश खट्टर ने कारनेशन ऑटो इंडिया सर्विस कंपनी की शुरुआत की। ये कंपनी मल्टी ब्रांड कार डीलरशिप और सर्विसेज का कामकाज देखती है। यानी कि एक ही छत के नीचे कई कंपनियों की गाड़ियां बेची जाती है।
हालांकि, खट्टर को तब बड़ा झटका लगा जब उन्होंने पैसे जुटाकर देशभर में कंपनी के वर्कशॉप खोले, लेकिन कार मैन्युफैक्चरर्स ने अपने ऑटो पार्ट्स खुले बाजार में बेचने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने 2009 में सैकेंड हैंड कार खरीदने-बेचने का बिजनेस शुरू करने की तैयारी की लेकिन यहां पर भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली। 2009 से 2014 तक लगातार कारनेशन कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि, बाद में खट्टर के बेटे कुणाल खट्टर ने कंपनी की रणनीति में बदलाव किया, जिससे कंपनी प्रोफिट में आए और फिर एक सफल बिजनेस मॉडल बनाया।
खट्टर पर लगे धोखाधड़ी के आरोप
आपको बता दें कि जदगीश खट्टर पर 2019 में धोखाखड़ी के आरोप लगे थे। केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने 110 करोड़ की धोखाधड़ी और क्रिमिनल मिसकंडक्ट के आरोप जगदीश खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया पर मुकदमा दर्ज किया।
जगदीश खट्टर पर आरोप लगा कि उन्होंने अपनी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया लिमिटेड के जरिए पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 110 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि ‘कंपनी ने कुछ भी गलत नहीं किया है। सीबीआई ने इसकी जांच की है और उनके खिलाफ कुछ भी सुबूत नहीं मिले।’